मुख्य बातें: जिले को आवंटित हुआ 475 डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर, अब एक मिनट में खून की होगी जांच, मधुबनी जिला एनीमिया प्रभावित जिलों में है शामिल, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार 52.2% गर्भवती महिलाएं व 67.1% बच्चे एनीमिया से ग्रसित
समीर कुमार मिश्रा, मधुबनी, देशज टाइम्स ब्यूरो। जिले को एनीमिया प्रभावित जिलों की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि यहां खून की कमी वाले अधिकतर मरीज सामने आते हैं। इनमें भी गर्भवती महिला को यदि खून की कमी हो तो वह जानलेवा साबित हो सकता है।
इस कमी को जांचने के लिए अभी तक जिस पद्धति का उपयोग किया जा रहा था। उससे कई गुना ज्यादा एडवांस तकनीक से तैयार डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर अब स्वास्थ्य विभाग अपने मैदानी कर्मचारियों को जल्द ही वितरित कर देगा।
राज्य मुख्यालय से जिले को 475 डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर दिए गए हैं। इसके लिए मैदानी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं अभी तक किट से खून की जांच की जाती थी। इसमें तकरीबन 15 से 20 मिनट लगते थे। लेकिन अब नए डिजिटल एचबी मीटर से मात्र 1 मिनिट में खून की जांच रिपोर्ट सामने होगी और इस तकनीक से की गई जांच की प्रामाणिकता भी शत प्रतिशत रहेगी।
प्रशिक्षण के बाद स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हीमोग्लोबिन की जांच शुरू की जाएगी.राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-20) के अनुसार जिले में 6 माह से 59 माह के 64.2% शहरी क्षेत्र के एवं 68.3% कुल 67.1% बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं।
नॉनप्रेगनेंट 15 से 49 वर्ष की शहरी क्षेत्र के 54.1% एवं ग्रामीण क्षेत्र के 58.7% कुल 57. 2%महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं वही है 15 से 49 वर्ष के गर्भवती महिला शहरी क्षेत्र 45.7%, ग्रामीण क्षेत्र के 54.3%, कुल 52.2% एनीमिया से ग्रसित हैं।
गर्भवती महिलाओं का सबसे ज्यादा होगा फायदा: सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार भीमसारिया ने बताया जिले में सबसे अधिक खून की कमी वाले मामलेेक गर्भवती महिलाओं में देखने को मिलते हैं गर्भावस्था के दौरान एक महिला की चार बार जांच की जाती है प्रथम जांच के दौरान ही यदि खून की कमी संबंधित रिपोर्ट मिल जाए तो उसका उपचार करना आसान होता है इस तकनीक से गर्भवती की और उपचार करने में काफी मदद मिलेगी.
स्ट्रिप बेस्ट डिजिटल हीमोग्लोबिन मीटर प्रयोग के फायदे:-समुदाय का स्तर पर आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है.-इसके उपयोग हेतु किसी प्रयोगशाला या टेक्नीशियन की आवश्यकता नहीं है-परीक्षण के लिए कम मात्रा में रक्त के नमूने आवश्यकता होती है
-अधिक से अधिक लाभार्थियों को कर किया जा सकता है-प्रशिक्षण उपरांत लाभार्थी का आसानी से फॉलो अप किया जा सकता है।