फोटो देशज टाइम्स कैप्शन: पंडौल के भवानीपुर में अवस्थित उगना महादेव मंदिर
मधुबनी, देशज टाइम्स ब्यूरो। मधुबनी जिले के पंडौल प्रखंड का भवानीपुर गांव यहां देवों के देव महादेव साक्षात विराजते हैं। कहा जाता है कि 1380 ई. से 1460 ई.के बीच महादेव के परम भक्त महाकवि विद्यापति का यहां महादेव से साक्षात्कार हुआ था।
विद्यापति की भक्ति देख महादेव महाकवि विद्यापति के समक्ष एक गरीब ब्राह्मण का वेश धारण कर विद्यापति के घर पहुंचे और उनके साथ रहने की इच्छा व्यक्त की। वह भी एक चाकर के रूप में उन्होंने अपना नाम उगना बताया। जिसके बाद महादेव साक्षात उगना नाम से कवि विद्यापति के साथ रहने लगे और महाकवि विद्यापति उनकी भक्ति में लीन रहते थे।
कहा जाता है कि उगना महादेव बने शिव के साथ महाकवि विद्यापति मिथिला के राजा शिव सिंह के दरबार में भाग लेने जा रहे थे उसी दौरान इसी स्थान पर महाकवि को जोर से प्यास लगी और उनका मन जल के लिए व्याकुल हो गया।
इसके बाद उगना बने महादेव घनघोर जंगल में जाकर एक लौटे में जल लेकर विद्यापति को लाकर पीने के लिए दिया जिसे पीने के बाद विद्यापति ने गंगाजल की अनुभूति की तब शिव को अपनी कसम देकर जल के रहस्य के बारे में पूछा तो महादेव ने अपने बारे में बताया मैं साक्षात महादेव हूं और अपनी जता से गंगा को खोलकर लोटे में भरकर आपको दे रहा हूं आप इससे अपनी प्यास बुझा लें।
इसके बाद महाकवि विद्यापति महादेव के चरणों में गिर पड़े। महादेव ने उन्हें आपने बारे में किसी मानव को नहीं बताने के लिए उन्हें कसमें दी थीं । महादेव ने बताया था कि जब विद्यापति किसी को भी साक्षात महादेव के बारे में बता देंगे तो वह इस संसार से अंतर्ध्यान हो जाएंगे।
एक रोज की बात है विद्यापति ही सिर्फ महादेव के बारे में जानते थे । उनकी पत्नी सुधीरा महादेव को विद्यापति का चाकर ही समझती थी और उनसे खराब व्यवहार करती थी। एक रोज महादेव को विद्यापति के घर पहुंचने में लेट हो गया जिसके बाद विद्यापति की पत्नी सुधीरा उन्हें झाडू लेकर मारने को दौड़ी तब महादेव वहां से दौड़ कर पीछे हटने लगे इसी बीच विद्यापति पहुंचे और उन्होंने अपनी पत्नी को रोकते हुए कहा कि अहाँक ई की अनर्थ क रहल छी सुधीरा ई उगना रूप में साक्षात महादेव छथिन इतनी सी बात विद्यापति के मुंह से निकलते ही महादेव उसी समय अलोपित हो गए।
उसके बाद विद्यापति की स्थिति बहुत ही खराब हो गयी ।वो महादेव बने उगना की तलाश में वन-वन भटकते रहे। उगना के विरह में महाकवि विद्यापति ने भाव विभोर होकर महादेव की प्रार्थना की जिसके बाद महादेव ने एक रात स्वप्न दिया कि मैं इसी भवानीपुर के घनघोर जंगल में जमीन के नीचे हूं तुम मुझे प्राप्त कर सकते हो जिसके बाद इस जगह की खुदाई की गई और यह शिवलिंग प्राप्त हुई तभी शिवलिंग का नाम उगना महादेव रखा गया तब से यह उगना महादेव के नाम से जगत प्रसिद्ध है। यहां सालों भर आसपास, दूरदराज और नेपाल से श्रद्धालु भक्त आते हैं।
शादी मुंडन और दूल्हा दुल्हन को देखने का सिलसिला चलता रहता है वहीं सावन के मौके पर पूरे महीने श्रद्धालु भक्त भगवान उगना महादेव को मंदिर के बाहर बने पोखर और चंद चंद्रकूप से जल लेकर महादेव को अर्पित कर मनोंवांछित फल की प्राप्ति की कामना लेकर अपने घर को लौटते हैं।कहा जाता है कि यहां आने वाले हर भक्तों की मनोकामना उगना महादेव पूरी करते हैं तभी तो यहां आने वाले लोगों की आस्था है देखते बनती है।
क्या हैं सुरक्षा के इंतजाम
मंदिर के आसपास और मंदिर प्रांगण में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जिससे असामाजिक, अवांछित तत्व, चोर एवं पॉकेटमार जो महिलाओं के गले से स्वर्ण आभूषण झपट ले जाते हैं उनकी पहचान की जा सकेगी। वहीं सुरक्षा को लेकर पुलिस के जवानों की भी तैनाती की गई है और मंदिर कमिटी की ओर से वोलेंटियर को भी लगाया गया है। महिला एवं पुरुषों के लिए जल चढ़ाने की अलग-अलग व्यवस्था की गई है इसके लिए बांस और बल्ले से क्यू बनाया गया है। इस सुरक्षा तैयारियों के साथ उगना महादेव मंदिर में सावन मेले की तैयारी की गई है।