झंझारपुर। नगर परिषद प्रशासन ने काफी विलंब से छठ पर्व को लेकर करीब 50 पोखर घाटों की साफ- सफाई को लेकर टेंडर जारी किया है। बताते चलें कि लोक आस्था के महापर्व के महज 12 दिन और शेष बचे हैं।
आस्था के इस महान पर्व का सभी कार्य लोगों द्वारा जलाशय के समीप किया जाता है। बावजूद नगर परिषद के तमाम जलाशय में सफाई की रफ्तार काफी धीमी है। प्रायः सभी जलाशय गंदगी से पटे पड़े हैं।
जो जलाशय जीवंत हैं, जहां लोग प्रतिदिन स्नान करने के लिए जाते हैं, वहां की स्थिति भी सफाई को लेकर नाजुक बनी हुई है। कहीं पहुंच पथ का अभाव है तो कहीं पोखर में काफी मोटी जलकुंभी जमी हुई है। सफाई को लेकर लोगों का मानना है कि दुर्गा पूजा के समाप्ति के समय तक ही टेंडर हो जाना चाहिए था।
ताकि संवेदक समय रहते छठ घाट के साफ सफाई की शुरुआत कर सके। नगर परिषद प्रशासन द्वारा चिह्नित किए गए 50 छठ घाट का साफ सफाई टेंडर के शर्तो के अनुकूल हो पाएगा, लोगों को इसमें शंका लग रहा है।
ड्योढ़ी पोखर में भारी जलकुंभी की साफ सफाई के लिए मजदूर लगाए गए हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि इस जलकुंभी को साफ करने में ही 10 दिन लग जाएंगे। फिर घाट के बगल की गंदगी और पानी की गंदगी के बीच ही छठ पर्व मनाया जाएगा।
वार्ड 15 स्थित हीरालाल पोखर सैकड़ो वर्ष पुराना है जो आज भी जीवंत है। साल के 365 दिन लोग इस तालाब में स्नान करने पहुंचते हैं। बावजूद तालाब के घाट तक पहुंचने का ना तो सुगम रास्ता बन पाया है और ना ही घाट ही सही से बना हुआ दिख रहा है।
नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष सोना मंडल का आरोप है कि नगर परिषद की कार्य प्रणाली काफी सुस्त है। नगर परिषद प्रशासन के उदासीन रवैया के कारण स्थानीय लोग आपसी सहयोग से साफ सफाई करने का मन बनाया है।
नगर पंचायत के ही पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र नारायण भंडारी ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया काफी विलंब से हुई। इसे 10 दिन पूर्व निष्पादित किया जाना चाहिए था।
ताकि संवेदक को मजदूर और समय दोनों मिल सके। आपाधापी में सरकारी पैसा तो खर्च होगा, लेकिन आम लोगों को वह सुविधा नहीं मिल पाएगी।
वर्तमान नगर परिषद के अध्यक्ष बबिता शर्मा के प्रतिनिधि बबलू शर्मा ने बताया कि नगर परिषद के लिए 50 स्थल का चयन किया गया है। कार्य की मॉनिटरिंग संबंधित वार्ड के वार्ड पार्षदों के जिम्मे में रहेगी।
टेंडर के शर्तानुसार घाट की साफ सफाई, वहां तक पहुंचाने के रास्ते को सुगम बनाना,गहरे पानी वाले जगह को बैरिकेटिंग करना, जरूरत के अनुसार कमला नदी व अन्य गहरे पानी में नाव की व्यवस्था करना, चेंजिंग रूम का निर्माण करना आदि शामिल है।