जनकपुर, मिथिला की पावन धरती, आज एक बार फिर राम-सीता के विवाह के उल्लास से सराबोर है। सात दिनों तक चले विवाह पंचमी महोत्सव का समापन बुधवार को मिथिला की पारंपरिक रस्म ‘राम कलेवा’ के साथ हुआ। जानकी मंदिर प्रांगण इस दौरान भक्ति और आस्था के संगम का गवाह बना, जहाँ लाखों श्रद्धालु प्रभु श्री राम और माता सीता के विवाह महोत्सव में शामिल हुए।
जनकपुर धाम में उत्सव का माहौल
विवाह पंचमी के अवसर पर आयोजित यह सात दिवसीय महोत्सव मिथिलांचल की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस वर्ष भी महोत्सव ने श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी, जिन्होंने इस पावन अवसर पर अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित कीं। भगवान राम और माता सीता के विवाह के विभिन्न प्रसंगों को जीवंत करने वाली झांकियां और धार्मिक अनुष्ठान पूरे सप्ताह आयोजित किए गए।
राम कलेवा: एक पवित्र रस्म
महोत्सव के अंतिम दिन ‘राम कलेवा’ की रस्म का विशेष महत्व है। इस रस्म के तहत, भगवान राम और माता सीता को नवविवाहित जोड़े के रूप में पारंपरिक पकवानों का भोग लगाया जाता है। यह माना जाता है कि विवाह के पश्चात, भगवान राम और माता सीता ने मिथिला में कुछ समय बिताया था, और उसी स्मृति में यह रस्म निभाई जाती है। जानकी मंदिर के प्रांगण में इस रस्म को बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ पूरा किया गया।
श्रद्धालुओं का सैलाब
पूरे एक सप्ताह तक चले इस महोत्सव में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जनकपुर धाम पहुंचे। उन्होंने पवित्र सरयू नदी में स्नान किया और जानकी मंदिर में माथा टेका। राम-सीता के विवाह का उत्सव देखने के लिए श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखा गया। मंदिर परिसर और आसपास का पूरा क्षेत्र जय श्री राम और सिया-राम के नारों से गूंजता रहा।
महोत्सव का समापन
बुधवार को ‘राम कलेवा’ की रस्म के संपन्न होने के साथ ही सात दिवसीय विवाह पंचमी महोत्सव का विधिवत समापन हो गया। इस महोत्सव ने एक बार फिर मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक आस्था को मजबूत किया है। श्रद्धालुओं ने भारी मन से विदा ली, लेकिन उनके दिलों में प्रभु श्री राम और माता सीता के विवाह की मधुर स्मृतियां बसी रहीं।


