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23 अप्रैल, 2024
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बड़ा भूमि घोटाला!, 40 गांवों के भूमि दस्तावेज सरकारी दफ्तरों से गायब

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बिहार में लगातार जब से जमीन का डिजिटाइलेजसन शुरू हुआ है। जमीन घोटालों की बहार आ गई है। ताजा मामला मुजफ्फरपुर (DeshajTimes.Com) का है। यहां, सरकारी दफ्तरों से महत्वपूर्ण भूमि दस्तावेजों के गायब होने की घटनाएं बढ़ रही हैं

मुजफ्फरपुर जिले के 40 गांवों से जुड़ा है मामला?

ताजा मामला चौकाने वाला है क्योंकि यह घोटाला मुजफ्फरपुर जिले के 40 गांवों से जुड़ा है, जहां खतियान (भूमि स्वामित्व दस्तावेज) रहस्यमय तरीके से लापता हो गए हैं। इससे स्थानीय रैयतों (किसानों और भू-स्वामियों) में हड़कंप मच गया है। दीपक कुमार की रिपोर्ट।

किन गांवों के खतियान हुए गायब?

गायब हुए खतियानों में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाके शामिल हैं। प्रमुख प्रभावित क्षेत्र:

  • शहरी क्षेत्र – सरैयागंज, सिकंदरपुर, शहबाजपुर, कन्हौली विशुनदत्त, बाड़ा जगनाथ

  • मुशहरी अंचल – 15 गांव

  • अन्य प्रभावित प्रखंड – बोचहां, कुढ़नी, सकरा, सरैया, औराई, मोतीपुर, पारू, साहेबगंज (कुल 25 गांव)

डिजिटलीकरण प्रक्रिया में बाधा

  • बिहार सरकार पूरे राज्य में भूमि दस्तावेजों का डिजिटलीकरण कर रही थी

  • एमएस कैपिटल बिजनेस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को इस कार्य के लिए ठेका दिया गया था।

  • स्कैनिंग शुरू होते ही पता चला कि कई गांवों के खतियान गायब हैं

  • राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया रोक दी

सरकारी कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल

  • राजस्व विभाग की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि कई दस्तावेजों में हेरफेर किया गया है

  • कुछ खतियान लापरवाही से नष्ट हुए, जबकि कुछ जानबूझकर गायब किए गए

  • संभावना है कि इसमें सरकारी कर्मचारियों और भू-माफिया की मिलीभगत हो सकती है

खतियान गायब होने से उपभोक्ताओं की परेशानी

  • खतियान भूमि स्वामित्व का कानूनी प्रमाण पत्र होता है।

  • इसके बिना:

    • भूमि स्वामित्व साबित करना मुश्किल

    • सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकता

    • मुकदमेबाजी और विवाद बढ़ सकते हैं

प्रशासन की प्रतिक्रिया और कार्रवाई

  • राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को लापता दस्तावेजों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया

  • मुजफ्फरपुर डीएम सुबत सेन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है

  • अब तक इस मामले में कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, जिससे प्रशासन की इच्छाशक्ति पर सवाल उठ रहे हैं

खतियान का ऐतिहासिक महत्व

  • ब्रिटिश शासन के दौरान भूमि प्रबंधन और राजस्व व्यवस्था के लिए खतियान लागू किया गया था

  • आज भी यह भारतीय भूमि स्वामित्व प्रणाली का अहम हिस्सा है

  • इसके गायब होने से पूरे तंत्र पर असर पड़ सकता है

आगे की चुनौतियां और समाधान

  • क्या सरकार इस मामले में ठोस कदम उठाएगी या यह भी अन्य घोटालों की तरह दब जाएगा?

  • रैयतों को उनका कानूनी हक मिलेगा या वे मुकदमों में उलझे रहेंगे?

  • सरकार को डिजिटलाइजेशन प्रक्रिया तेज करनी चाहिए और लापता खतियानों की पुनः खोजबीन सुनिश्चित करनी चाहिए

  • दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई हो ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों

  • भूमि दस्तावेजों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनना होगा

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Editors Note

लेखक या संपादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ संपादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। देशज टाइम्स में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं। देशज टाइम्स टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है। कोई शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो कृपया deshajtech2020@gmail.com पर लिखें।

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