मुजफ्फरपुर/पटना: बिहार के लाखों अन्नदाता किसानों के लिए एक ऐसी खबर सामने आई है, जो उनके चेहरे पर मुस्कान ला सकती है। राज्य सरकार ने जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत आम लोगों को मिलने वाले अनाज की खरीद को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पीडीएस के लिए आवश्यक खाद्यान्न केवल बिहार के स्थानीय किसानों से ही खरीदा जाए। आखिर क्या है यह फैसला और कैसे बदलेगी यह राज्य के किसानों की तकदीर?
किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
इस फैसले का सीधा असर राज्य के उन किसानों पर पड़ेगा, जो अपनी उपज बेचने के लिए बाजार पर निर्भर रहते हैं। अब उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए एक सुनिश्चित और विश्वसनीय माध्यम मिलेगा। यह नीति किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में मदद करेगी और बिचौलियों की भूमिका को कम करेगी। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वे अपनी खेती को लेकर अधिक प्रोत्साहित होंगे। सरकार का यह कदम किसानों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने वाला है।
क्या है जन वितरण प्रणाली (PDS)?
जन वितरण प्रणाली (PDS) भारत सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण खाद्य सुरक्षा योजना है, जिसका उद्देश्य देश के गरीब और कमजोर तबके के लोगों तक रियायती दरों पर अनाज और अन्य आवश्यक खाद्य सामग्री पहुंचाना है। इस प्रणाली के तहत राशन कार्ड धारकों को चावल, गेहूं, चीनी और मिट्टी का तेल जैसी चीजें सरकारी राशन दुकानों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती हैं। आमतौर पर, सरकार इन अनाजों की खरीद किसानों से करती है और फिर उसे पीडीएस के तहत वितरित करती है। अब बिहार में यह खरीद राज्य के भीतर ही सीमित कर दी गई है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती
राज्य के किसानों से ही अनाज खरीदने का यह निर्णय न केवल किसानों के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। जब किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा, तो उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे वे बाजार में अधिक खरीदारी करेंगे। इससे छोटे व्यापारियों और स्थानीय उद्योगों को भी लाभ होगा। इसके अतिरिक्त, राज्य के भीतर ही खरीद-बिक्री होने से परिवहन लागत में कमी आ सकती है और राज्य के राजस्व में भी सकारात्मक योगदान देखने को मिल सकता है। यह कदम ‘आत्मनिर्भर बिहार’ की संकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भविष्य की चुनौतियां और उम्मीदें
हालांकि यह फैसला किसानों के हित में है, लेकिन इसके सफल कार्यान्वयन के लिए कई मोर्चों पर ध्यान देना होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि खरीद प्रक्रिया पारदर्शी हो, किसानों को समय पर भुगतान मिले और अनाज के भंडारण व वितरण की उचित व्यवस्था हो। इसके अलावा, खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाना और किसानों तक उनकी पहुंच आसान बनाना भी जरूरी होगा। यदि इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जाता है, तो यह नीति बिहार के कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है और राज्य के किसानों के लिए समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।








