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2 दिसम्बर, 2025

बिहार के किसानों को प्राथमिकता: अब पीडीएस के लिए सिर्फ यहीं से होगी अनाज की खरीद

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मुजफ्फरपुर न्यूज़: बिहार की कृषि नीति में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, जिसने राज्य के लाखों किसानों के चेहरों पर खुशी ला दी है। जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत अब गरीबों को मिलने वाला अनाज सिर्फ बिहार के अपने अन्नदाताओं से ही खरीदा जाएगा। यह फैसला न केवल स्थानीय किसानों को सीधा लाभ पहुंचाएगा, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी एक नई दिशा देगा। आखिर क्या है इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की रणनीति और इसके दूरगामी परिणाम क्या होंगे, आइए जानते हैं।

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किसानों को मिलेगा सीधा लाभ

इस नई व्यवस्था के लागू होने से राज्य के किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलना सुनिश्चित होगा। सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अनाज की खरीद से बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी और किसानों को अपनी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। यह कदम किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। कई बार बाहरी राज्यों से अनाज खरीदने के कारण स्थानीय किसानों को अपनी उपज बेचने में कठिनाई होती थी, लेकिन अब यह समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी।

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गुणवत्ता और पारदर्शिता पर जोर

सरकार का यह निर्णय अनाज की गुणवत्ता और खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से भी लिया गया है। बिहार के भीतर से अनाज की खरीद होने से अनाज की गुणवत्ता पर बेहतर निगरानी रखी जा सकेगी। इसके साथ ही, खरीद केंद्रों पर आधुनिक तकनीक और सख्त नियमों के पालन से पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। यह सुनिश्चित करेगा कि पीडीएस के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचने वाला अनाज उच्च गुणवत्ता का हो।

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  • स्थानीय खरीद से अनाज की गुणवत्ता पर बेहतर नियंत्रण।
  • बिचौलियों की भूमिका समाप्त, किसानों को सीधा लाभ।
  • खरीद प्रक्रिया में आधुनिक तकनीक का उपयोग।
यह भी पढ़ें:  बिहार के किसानों को प्राथमिकता: PDS अनाज खरीद पर बड़ा सरकारी फैसला

राज्य की अर्थव्यवस्था को मिलेगा संबल

यह फैसला केवल किसानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका व्यापक असर राज्य की समग्र अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। जब किसानों के पास अधिक पैसा आएगा, तो वे कृषि में निवेश बढ़ाएंगे, जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी। स्थानीय स्तर पर खरीद बढ़ने से मंडियों में रौनक लौटेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। यह आत्म-निर्भर बिहार की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है, जहां राज्य अपनी जरूरतों के लिए अपने ही संसाधनों पर निर्भर करेगा। इस पहल से रोजगार के नए अवसर भी पैदा होने की संभावना है, खासकर कृषि उपज के भंडारण, परिवहन और वितरण के क्षेत्रों में।

सरकार ने इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी संबंधित विभागों को निर्देश जारी किए हैं। खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाने और किसानों को पंजीकरण प्रक्रिया में सहायता प्रदान करने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र किसान अपनी उपज बेचने से वंचित न रहे।

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