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2 दिसम्बर, 2025

मुजफ्फरपुर में मुआवजे की आस, बाढ़ पीड़ितों ने शुरू किया अनशन: आखिर कब मिलेगी राहत?

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मुजफ्फरपुर से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में व्याप्त असंतोष को सतह पर ला दिया है। कुदरत की मार और सरकारी उदासीनता से त्रस्त लोगों ने अब अपने हक की लड़ाई के लिए नया रास्ता चुना है। जानिए, आखिर क्यों मुजफ्फरपुर में बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा पाने के लिए भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा है और क्या है उनकी प्रमुख मांगें।

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हर साल की तरह इस बार भी मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के इलाकों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था। नदियों का जलस्तर बढ़ने से खेतों में खड़ी फसलें तबाह हो गईं, सैकड़ों घर पानी में डूब गए और लोगों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया। कई परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए ऊंचे स्थानों पर पलायन करना पड़ा, और जो पीछे रह गए, उन्हें खाने-पीने से लेकर रहने तक की समस्याओं से जूझना पड़ा।

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बाढ़ का पानी उतरने के बाद प्रभावित इलाकों में तबाही के निशान साफ देखे जा सकते हैं। किसानों की कमर टूट गई है, छोटे व्यापारी भी बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसे में सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता ही उनके लिए एकमात्र उम्मीद की किरण होती है, लेकिन अक्सर यह मदद समय पर नहीं मिल पाती।

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राहत के इंतजार में बीता लंबा समय

बाढ़ के बाद सरकारी स्तर पर सर्वे और मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू तो होती है, लेकिन इसकी गति इतनी धीमी होती है कि जरूरतमंदों तक मदद पहुंचने में महीनों लग जाते हैं। कई बार तो कागजी खानापूर्ति और लालफीताशाही के चलते पात्र लोग भी मुआवजे से वंचित रह जाते हैं। प्रभावितों का कहना है कि उन्हें बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलता। इस विलंब और उदासीनता ने लोगों के धैर्य का बांध तोड़ दिया है।

पीड़ित परिवारों का आरोप है कि उन्हें केवल झूठे आश्वासन दिए जाते हैं, जबकि जमीनी स्तर पर राहत के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा है। ऐसे में अपने हक की आवाज बुलंद करने और सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने अनशन का सहारा लिया है। यह कदम उनकी गहरी निराशा और हताशा को दर्शाता है।

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अनशनकारियों की प्रमुख मांगें

अनशन पर बैठे लोगों की मुख्य मांगें स्पष्ट हैं और वे सरकार से तत्काल कार्रवाई की अपील कर रहे हैं:

  • सभी बाढ़ प्रभावित परिवारों को अविलंब मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए।
  • क्षतिग्रस्त फसलों और घरों के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।
  • मुआवजा वितरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए और इसमें तेजी लाई जाए ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति वंचित न रहे।
  • भविष्य में बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए स्थायी और प्रभावी कदम उठाए जाएं।
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इस अनशन ने स्थानीय प्रशासन और सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि बाढ़ पीड़ितों की यह आवाज कब तक सुनी जाती है और उन्हें कब तक न्याय और राहत मिल पाती है। प्रभावित लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी इस मुहिम से सरकार नींद से जागेगी और उन्हें उनके वाजिब हक से वंचित नहीं रखेगी।

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