मुज़फ्फरपुर न्यूज़: गायघाट प्रखंड की शिवदहा पंचायत में एक ऐसी ‘आमसभा’ का आयोजन हुआ है, जो अब सवालों के घेरे में है. ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें इस महत्वपूर्ण बैठक की सूचना ही नहीं दी गई, जिससे जनप्रतिनिधि पर गंभीर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं. आखिर बिना आमजन की उपस्थिति के हुई यह सभा कितनी जायज है?
मुज़फ़्फ़रपुर जिले के गायघाट प्रखंड अंतर्गत शिवदहा पंचायत में हाल ही में एक आमसभा का आयोजन किया गया. यह सभा शिवदहा बरेल गांव में आयोजित हुई थी. इस बैठक में पंचायत सचिव सागर कुमार और मुखिया गणेश ठाकुर सहित कुछ वार्ड सदस्य मौजूद रहे. हालांकि, कई अन्य वार्ड सदस्यों की अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय बनी हुई है.
सूत्रों के अनुसार, कुछ वार्ड सदस्यों ने बताया कि इस आमसभा में आम लोगों की भागीदारी न के बराबर थी. ग्रामीणों को इस आयोजन के बारे में कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी. जब ग्रामीणों तक यह खबर पहुंची कि उनके गांव में एक आमसभा आयोजित हुई है, तो उनमें गहरा आक्रोश देखने को मिला.
सूचना के अभाव पर ग्रामीणों का आक्रोश
गांववालों का कहना है कि अगर आमसभा की जानकारी ही आम लोगों तक नहीं पहुंची, तो उसे ‘आमसभा’ कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने सवाल उठाया कि बिना सूचना के हुई यह बैठक किस उद्देश्य से आयोजित की गई थी. ग्रामीणों ने सीधे तौर पर मुखिया गणेश ठाकुर पर लापरवाही का आरोप लगाया है, जिसके कारण बड़ी संख्या में आम लोग और कई वार्ड सदस्य बैठक से अनुपस्थित रहे. हालांकि मुखिया श्री ठाकुर ने कहा ऐसी कोई बात नहीं है।
- ग्रामीणों को आमसभा की कोई सूचना नहीं दी गई.
- कई वार्ड सदस्य भी बैठक से अनुपस्थित रहे.
- ग्रामीणों ने मुखिया पर सूचना न देने और लापरवाही का आरोप लगाया.
पारदर्शिता पर उठे गंभीर सवाल
इस घटना ने पंचायत स्तर पर होने वाली बैठकों की पारदर्शिता और जनभागीदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. नियमानुसार, आमसभा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीणों को पंचायत के विकास कार्यों और योजनाओं से अवगत कराना होता है, जिसमें उनकी सक्रिय भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है. ऐसे में बिना पर्याप्त सूचना के आयोजित हुई सभा की वैधानिकता और उसके फैसलों पर भी सवाल उठना लाजिमी है.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक सभी हितधारकों को सूचित नहीं किया जाता और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक ऐसी सभाओं का आयोजन केवल खानापूर्ति ही माना जाएगा. इस पूरे मामले पर पंचायत प्रशासन की ओर से फिलहाल कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है, जिससे ग्रामीणों का असंतोष बढ़ता जा रहा.




