गायघाट। बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना एक बार फिर सवालों के घेरे में है। मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट प्रखंड स्थित शिवदहा पंचायत से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नल से पानी नहीं आ रहा था, बावजूद इसके योजना के अनुरक्षक को कथित तौर पर भुगतान कर दिया गया। इस गंभीर अनियमितता के सामने आने के बाद अब उच्चाधिकारियों ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं और सभी भुगतानों पर तत्काल रोक लगा दी गई है, जिसने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, शिवदहा पंचायत में ‘हर घर नल का जल’ योजना के तहत घरों तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाने का काम जारी है। इस योजना के क्रियान्वयन और रखरखाव की जिम्मेदारी अनुरक्षकों की होती है। नियमों के मुताबिक, अनुरक्षक को तभी भुगतान किया जाता है, जब वह यह सुनिश्चित करे कि नलों में पानी की आपूर्ति सुचारु रूप से हो रही है। लेकिन, यहां की स्थिति बिल्कुल विपरीत पाई गई। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि कई घरों में नल सूखे पड़े थे और पानी की आपूर्ति बाधित थी, फिर भी अनुरक्षक को उसकी सेवाओं के लिए भुगतान कर दिया गया। यह मामला उजागर होने के बाद संबंधित विभाग में हड़कंप मच गया है।
शिवदहा पंचायत में सामने आई अनियमितता
सरकार की ‘हर घर नल का जल’ योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की सुनिश्चित आपूर्ति करना है, ताकि लोगों को जल संकट से मुक्ति मिल सके। इस योजना की सफलता में अनुरक्षकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना है कि पानी की टंकी से लेकर घरों तक बिछी पाइपलाइन में कोई रुकावट न हो और निर्धारित समय पर पानी की आपूर्ति लगातार होती रहे। यदि किसी कारणवश पानी नहीं आ रहा है, तो अनुरक्षक का यह दायित्व है कि वह तुरंत समस्या का पता लगाए और उसका त्वरित समाधान सुनिश्चित करे।
नियमानुसार, अनुरक्षकों को उनके कार्य के बदले मानदेय का भुगतान तभी किया जाता है, जब वे अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन करें। यदि नल बंद हैं या पानी की आपूर्ति में किसी भी प्रकार की बाधा है, तो भुगतान को रोका जा सकता है। भुगतान की यह शर्त इसलिए रखी गई है, ताकि अनुरक्षक अपने काम के प्रति जवाबदेह रहें और योजना का वास्तविक लाभ लोगों तक पहुंच सके। यह एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो योजना की सफलता और जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करता है।
क्या कहते हैं नियम? अनुरक्षकों की जिम्मेदारी और भुगतान की शर्तें
इस गंभीर अनियमितता को देखते हुए, उच्च अधिकारियों ने तत्काल प्रभाव से सभी संबंधित भुगतानों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। साथ ही, पूरे मामले की गहन जांच के भी निर्देश दिए गए हैं। जांच टीम इस बात की पड़ताल करेगी कि आखिर किस आधार पर पानी की अनुपस्थिति में भी भुगतान कर दिया गया और इसमें कौन-कौन से अधिकारी या कर्मचारी शामिल थे। यह भी देखा जाएगा कि क्या यह कोई एकलौता मामला है या ऐसी और भी शिकायतें राज्य के अन्य हिस्सों से भी आ रही हैं, जहां योजना का दुरुपयोग किया जा रहा है।
अधिकारियों का स्पष्ट निर्देश है कि जब तक अनुरक्षक द्वारा पानी की आपूर्ति से संबंधित समस्या का पूरी तरह समाधान नहीं कर दिया जाता और यह सुनिश्चित नहीं हो जाता कि नलों में नियमित रूप से पानी आ रहा है, तब तक भुगतान रुका रहेगा। समस्या के समाधान और स्थिति सामान्य होने के बाद ही अधिकारी इस बात का निर्धारण करेंगे कि अनुरक्षक को भुगतान कब और कैसे करना है। यह मामला नल-जल योजना की पारदर्शिता और उसके सफल क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े करता है, जिसके कारण जनता का विश्वास डगमगा सकता है।








