मुजफ्फरपुर न्यूज: मुजफ्फरपुर की धरती पर खेती-किसानी को एक नई दिशा मिल रही है। एक ऐसा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया, जिसने किसानों के चेहरे पर नई उम्मीदें जगा दी हैं। क्या है यह खास पहल और कैसे यह मिट्टी से लेकर मंडी तक की पूरी तस्वीर को बदलने की क्षमता रखती है, जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर।
हाल ही में मुजफ्फरपुर में किसानों को प्राकृतिक खेती के गुर सिखाए गए। इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को रासायनिक खादों और कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों से मुक्त होकर, प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए खेती करने की विधि से अवगत कराना था। यह पहल ऐसे समय में की गई है, जब लगातार बढ़ती रासायनिक खाद की कीमतें और उनके पर्यावरणीय दुष्प्रभाव चिंता का विषय बने हुए हैं।
इस प्रशिक्षण में किसानों को बताया गया कि कैसे वे बिना किसी रासायनिक इनपुट के अपनी फसल की गुणवत्ता और पैदावार दोनों बढ़ा सकते हैं। प्राकृतिक खेती न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य को बहाल करती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी बेहद लाभकारी सिद्ध होती है। इसका सीधा असर किसानों की लागत पर पड़ता है, जो कम होने से उनका मुनाफा बढ़ता है।
प्राकृतिक खेती: समय की मांग
आज के दौर में प्राकृतिक खेती केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन गई है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल ने जहां एक ओर मिट्टी की उर्वरता को घटाया है, वहीं दूसरी ओर कृषि उत्पादों में भी रसायनों का अंश पाया जाने लगा है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। प्राकृतिक खेती इसी समस्या का समाधान प्रस्तुत करती है। इसमें जैविक खाद, जैव-विविधता का संरक्षण और फसल चक्र जैसी विधियों पर जोर दिया जाता है।
इस प्रणाली में देसी गाय के गोबर और गोमूत्र से तैयार होने वाले जीवामृत और घन जीवामृत का उपयोग प्रमुख होता है। यह भूमि को फिर से उपजाऊ बनाने में मदद करता है और सूक्ष्मजीवों को सक्रिय करता है, जो पौधों के पोषण के लिए आवश्यक होते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे किसान अपने ही खेत में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके बेहतर और स्वस्थ फसलें उगा सकते हैं।
किसानों को मिले नए गुर
प्रशिक्षण सत्र के दौरान किसानों को खाद बनाने के विभिन्न प्राकृतिक तरीकों, कीट नियंत्रण के जैविक उपायों और जल संरक्षण की तकनीकों से परिचित कराया गया। उन्हें बताया गया कि कैसे कम पानी और बिना रासायनिक खर्च के भी बंपर पैदावार ली जा सकती है। यह प्रशिक्षण किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें अपनी खेती की पद्धति में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगा।
यह उम्मीद की जा रही है कि इस प्रशिक्षण के बाद मुजफ्फरपुर के किसान प्राकृतिक खेती को अपनाकर न केवल अपनी आय बढ़ाएंगे, बल्कि स्वच्छ और पौष्टिक खाद्य पदार्थों के उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे। यह पहल जिले में कृषि क्षेत्र के लिए एक नई सुबह का प्रतीक बन सकती है।






