दीपक कुमार। प्वाइंटर: Muzaffarpur News, Gaighat News: प्लीज सीओ मैडम…फोन रिसीव कर लिया कीजिए…। गायघाट प्रखंड में सीओ शिवांगी पाठक की मनमानी से बाढ़ पीड़ितों को राहत राशि में हो रही है भारी परेशानी। फ़ोन न उठाने की वजह से जनता और जनप्रतिनिधियों में नाराजगी।
हेडलाइन: गायघाट सीओ की मनमानी: फ़ोन न उठाने से बाढ़ पीड़ितों और जनप्रतिनिधियों की बढ़ी परेशानी।
सबहेड: बाढ़ पीड़ित राहत राशि के लिए परेशान, सीओ के फ़ोन न उठाने से नाराजगी। बीडीओ संजय कुमार ने जनता का फ़ोन तुरंत रिसीव किया, पर सीओ से संपर्क असंभव।
क्रासर: सीओ शिवांगी पाठक किसी भी पत्रकार का फ़ोन भी नहीं उठाती, जनता और जनप्रतिनिधि परेशान। पत्रकार कैसे ले पाएंगें। जान पाएंगें उनका पक्ष।
सबटाइटल: गायघाट में बाढ़ पीड़ितों की राहत राशि अटकी, सीओ की बेरुखी पर जनता ने जताई नाराजगी।
प्लीज सीओ मैडम। गायघाट के लोगों की सुन लीजिए।
प्लीज सीओ मैडम। गायघाट के लोगों की सुन लीजिए। जनप्रतिनिधि भी परेशान हैं। पत्रकार भी अपका पक्ष बाढ़ से लेकर जनविकास के मुद्दों पर नहीं जान पाते। सबका यही कहना है, सीओ मैम फोन नहीं रिसीव करती। प्लीज। फोन रिसीव कर लिया कीजिए।
लोग कह रहे, सीओ मैडम मनमानी कर रही हैं। वह फ़ोन उठाती ही नहीं है किसी का। जनप्रतिनिधियों से लेकर बाढ़ पीड़ित परेशान हैं। देशज टाइम्स जानता है। व्यस्तता है। मगर, इसी व्यस्त समय में फोन अगर आप रिसीव कर लेंगी तो लोगों को सुकून आ जाएगा।
शिकायत यही है…सीओ मैडम फोन नहीं उठाती।
फिर गायघाट के लोग यह नहीं कहेंगे। सीओ की मनमानी अब पूरी तरह से बढ़ गयी है।अब तो वह फ़ोन तक नहीं उठाती हैं। शायद, इस मामले में स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत मीडिया के लोगों से की है। बात हम तक पहुंची। हमनें भी प्रयास किया। बात सच निकलीं।
पूरे मामले में जब देशज टाइम्स ने आम लोगों से लेकर आप यानि सीओ शिवांगी पाठक तक से बात करने की कोशिश की। लोगों ने जब शिकायत की कि सीओ मैडम फोन नहीं उठाती। हमनें भी आपको फोन लगाया। जानकारी लेनी चाही। मगर, आपने फोन रिसिव करना उचित नहीं समझा।
मगर, इसी व्यस्तता के बीच फोन उठा लिया कीजिए।
इधर, बाढ़ पीड़ितों की समस्या बरकरार है। बाढ़ से प्रभावित लोग बाढ़ राहत राशि को लेकर परेशान हो उठे हैं। कहते हैं, सीओ की मनमानी रूक नहीं रही है। बीडीओ डॉ. संजय कुमार एक बार में फ़ोन रिसीव करते हैं। यह हम नहीं गायघाट की जनता बताती है। ऐसा मत कीजिए मैडम। हम फिर यही कहेंगे, आपकी व्यवस्ता खासकर बाढ़ के बाद अधिक हो गई है। मगर, इसी व्यस्तता के बीच फोन उठा लिया कीजिए। यही सभी चाहते हैं।