मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना क्षेत्र के बरियारपुर ओपी क्षेत्र की चर्चित सुनीता किडनी कांड मामले में अब मामला हाईप्रोफाइल हो गया है।
सुनीता को इंसाफ मिले इसके लिए सदन में बातें जब उठी तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसे गंभीरता से लिया। मामले में डीएम, एसएसपी समेत मुख्य सचिव को एनएचआरसी ने तलब किया है। इसके बाद 13 नवंबर को तीनों अधिकारियों को सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया। इसके साथ ही सभी अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती दिख रहीं हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव तथा जिले के डीएम और एसएसपी को आयोग के समक्ष सदेह उपस्थित होने का आदेश देते हुए मुख्य सचिव व डीजीपी बिहार को आदेश का अनुपालन कराने का जिम्मा देते हुए उन्हें अधिकृत किया है। इसके साथ ही मामला अब गरमा गया है। पढ़िए पूरी खबर
अधिकृत मामले की जानकारी अधिवक्ता डॉ. एस के झा ने देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से पीड़िता के किडनी प्रत्यारोपण पर चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट की मांगी थी जो मिली नहीं।
इसके साथ ही आयोग ने एसएसपी व डीएम मुजफ्फरपुर से मामले के सम्बन्ध में वर्तमान स्थिति से संबंधित रिपोर्ट की मांग की थी, जो आयोग को आजतक अप्राप्त है। मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र के बरियारपुर ओपी क्षेत्र के चर्चित सुनीता किडनी कांड मामले में राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग ने की सुनवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव तथा जिले के डीएम एसएसपी को आयोग के समक्ष सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया है साथ-ही-साथ आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी बिहार को आदेश का अनुपालन को कराने को अधिकृत किया है।
जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग से पीड़िता के किडनी प्रत्यारोपण पर चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट की मांगी थी। इसके साथ ही आयोग ने एसएसपी और मुजफ्फरपुर डीएम से इस मामले के संबंध में वर्तमान स्थिति से संबंधित रिपोर्ट की मांग की थी जो आयोग को आजतक अप्राप्त है।
ऐसे में सुनीता को किडनी प्रत्यारोपित किए जाने की दिशा में भी प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई सकारात्मक पहल अब तक नहीं की गई है। आयोग ने मामले को गंभीरता पूर्वक लेते हुए मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा- 13 के तहत में नोटिस जारी कर 13 नवंबर 2023 को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव तथा जिले के डीएम व एसएसपी को आयोग के समक्ष सदेह उपस्थित होने का आदेश दिया है।
इस मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एसके झा ने बताया कि पीड़िता की हालत दिनों-दिन ख़राब होती जा रही है, लेकिन आयोग के आदेश के बावजूद उसे किडनी प्रत्यारोपित किए जाने के लिए प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह भी अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है जो मानवाधिकार उल्लंघन के अतिगंभीर कोटि का मामला है।