बिहार में चल रहे नगर निकाय चुनाव के बीच कोर्ट का एक बड़ा और अहम फैसला आया है। पटना हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव पर रोक लगा दी है। पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने पिछड़ों को आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया।
जानकारी के अनुसार, पटना हाई कोर्ट ने बिहार के नगर निकायों में 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले चुनाव से पहले बड़ा फैसला सुनाया है। पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की आरक्षित सीटों पर फिलहाल मतदान नहीं सकेगा।
निकायों में अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर आज फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित तीन जांच अर्हताएं नहीं पूरी कर लेती।
हाईकोर्ट ने सबसे ज्यादा नाराजगी राज्य निर्वाचन आयोग पर जतायी है। राज्य निर्वाचन आयोग ही नगर निकाय चुनाव करा रहा है। हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार का राज्य निर्वाचन आयोग अपने संवैधानिक जिम्मेवारी का पालन करने में विफल रहा।
हाईकोर्ट के नियुक्त एमिकस क्यूरी अमित श्रीवास्तव ने कहा है कि स्थानीय निकाय के चुनाव में इन पदों के आरक्षण नहीं होने पर इन्हें सामान्य सीट के रूप में अधिसूचित कर चुनाव कराए जाएंगे। चीफ जस्टिस संजय क़रोल एवं संजय कुमार की खंडपीठ ने सुनील कुमार व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों को सुनने के 29 सितम्बर 2022 को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।
हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में अति पिछड़ों के आऱक्षण पर तत्काल रोक लगाते हुए कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछड़ों के आरक्षण के लिए तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं की है। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण दिये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में फैसला सुनाया था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जा सकती जब तक कि सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित तीन जांच की अर्हता पूरी नहीं कर लेती।