केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा पर सियासत तेज हाे गई है। बिहार में सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि यह प्रधानमंत्री जी का निर्णय है। इसपर कोई कमेंट नहीं करेंगे। पीएम ने हर बात स्पष्ट कह दी है। कुछ लाेग पक्ष में थे, कुछ विपक्ष में थे। लेकिन पीएम ने सबकुछ साफ कह दिया। जो निर्णय लिया, वह ठीक ही है।
इधर, बिहार सरकार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Amrendra Pratap Singh) ने कहा कि केंद्र की ओर से लाए गए तीनों कानून किसानों के व्यापक हित में थे। बिहार के किसान इन कानूनों से काफी खुश थे। केंद्र सरकार ने भले इसे वापस लिया है। लेकिन इसका संकेत भी है कि आगे समग्रता से इसपर विचार होगा।
जानकारी के अनुसार, किसान आंदोलन के बीच केन्द्र सरकार की ओर से तीनों कानूनों को वापस लिये जाने के फैसले पर जहां एक ओर विपक्ष इसे अहंकार की हार बता रहा है, वहीं राज्य के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह पीएम के इस एलान से खुश नहीं है।
कृषि मंत्री ने कहा है कि फिलहाल कृषि कानून को वापस लिया गया है लेकिन बिहार के किसान चाहते हैं कि दरवाजा बंद नहीं हो। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बिहार के किसानों ने इन तीनों कृषि कानून का ह्रदय से स्वागत किया था। बिहार के किसानों को इन तीनों कानूनों से बड़ी राहत मिलने वाली थी।
विपक्ष की ओर से कृषि कानूनों को वापस लेने को केन्द्र सरकार के बैकफुट पर आने की बात पर उन्होंने विपक्ष को नसीहत दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष को समझना चाहिए कि बड़े हृदय का नेता ही इतना बड़ा निर्णय ले सकता है। लोकतंत्र में जोर-जबरदस्ती से कानून लागू नहीं होता है। गांधी जी ने भी कई फैसले वापस लिए थे। क्या उसे बैकफुट पर आना कहेंगे। ये तो विपक्ष की छोटी सोच है।
कृषि मंत्री ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत है। ऐसे में एक छोटे से समूह को भी नाराज करके कानून जबरदस्ती लागू नहीं किया जाय, इसका ख्याल पीएम मोदी जैसे विशाल ह्रदय वाले ही रख सकते हैं। राज्य के कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र को तरजीह दी है। इसे किसान समझ नहीं पाए तो उन्हे मौका दिया जाए। अमरेंद्र प्रताप सिंह ने जोड़ा कि पीएम मोदी से मेरा आग्रह है कि किसानों का दरवाजा बंद नहीं होना चाहिए। ये कानून किसानों के व्यापक हित में है। इस पर आगे चर्चा कर, इस कानून को लागू कर वातावरण बेहतर बनाना चाहिए।
मंत्री ने कहा कि वे बिहार के कृषि मंत्री हैं। बिहार के किसानों से इस कानून के प्रति जो फीडबैक मिला, वह ये था कि किसान काफी खुश थे। लाभकारी खेती की दृष्टि से यह कानून चमत्कारिक रूप से मददगार होता। बिहार के लेागों ने इस कानून का स्वागत किया था।
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वे समझा नहीं पाए या कुछ लेाग समझ नहीं पाए, यह अलग बात है। यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कानून वापस लेने का सवाल पूछने पर उन्होंने इसे नकार दिया। कहा कि देश में आए दिन चुनाव होते रहते हैं। लेकिन चुनाव से जोड़ने की राजनीतिज्ञों की आदत ठीक नहीं है। वोट के पैमाने पर इसे नहीं देखते। किसानों के संदर्भ में ही कानून को देखा। विपक्ष के हौसले बुलंंद होते रहें। आज भी इस उम्मीद में हैं कि आगे व्यापक रूप से समग्रता में बातों को समझा पाएंगे।