पटना। बच्चों की पढ़ाई को लेकर गंभीर सरकार ने शिक्षकों को अब नया टास्क सौंपा है। (Efforts to increase children’s attendance in Bihar schools.) अगर सरकारी स्कूलों के बच्चे सात दिनों तक लगातार स्कूल नहीं आते हैं तो शिक्षक को बच्चों को घर जाकर यह जानने का प्रयास करना होगा कि आखिर वे क्यों स्कूल नहीं आ रहे हैं।
सभी विद्यालयों में बच्चों की कम से कम 75 फीसदी उपस्थिति को लेकर शिक्षा विभाग ने विद्यालय प्रधान के साथ ही विद्यालय के सभी शिक्षक और संकुल संसाधन केंद्र समन्वयक की जिम्मेदारी तय कर दी है।
यदि कोई छात्र एक सप्ताह तक लगातार स्कूल नहीं आता है तो प्रधानाध्यापक, शिक्षक उसके अभिभावक से संपर्क कर विद्यालय नहीं आने का कारण जानेंगे और इसके लिए अलग से रजिस्टर बनाने का आदेश दिया गया है।
स्कूलों को कहा गया है कि सभी विद्यालय निर्धारित समय पर खुले और विद्यालय में नियुक्त शिक्षक समय पर हर हाल में विद्यालय आएं और विद्यालय अवधि समाप्त होने के बाद ही विद्यालय से प्रस्थान करें।
विद्यालय अवधि में शिक्षक मोबाइल का प्रयोग भी नहीं करेंगे। यानी कि उनका पूरा फोकस बच्चों की पढ़ाई पर होगा। हेडमास्टरों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों के समूह को विद्यालय लाने के लिए शिक्षकों के बीच जिम्मेदारी का निर्धारण कर दें।
बता दें कि राज्य सरकार ने कक्षा एक से लेकर 12वीं तक के सभी स्कूलों को खोलने का आदेश दे दिया है और अब स्कूलों में शत प्रतिशत बच्चों को आने की भी अनुमति दे दी है।
लंबे समय से ठप रहे पठन-पाठन की वजह से बच्चों के सिलेबस पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में बच्चों की उपस्थिति हर हाल में 75 फीसदी तक करने के लिए अब शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ा दी गई है।