मई,4,2024
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हमारी गौरैया और पर्यावरण योद्धा के अभियान से जुड़े भारत-नेपाल के बच्चों ने कहा- सबको आना होगा आगे, पक्षियों के साथ पर्यावरण को बचाना सबका दायित्व

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जंगल-पशु-पक्षी : बच्चों की नजर से” पर ऑनलाइन परिचर्चा

 

टना। दुनिया को बचाने के लिए पर्यावरण को बचाना होगा और इसके लिए पृथ्वी के फेंफड़े यानि पेड़ों को संरक्षित करना हमारी जवाबदेही है। “हमारी गौरैया और पर्यावरण योद्धा”, पटना,बिहार की ओर से ‘जंगल-पशु-पक्षी : बच्चों की नजर से’ विषय पर आज आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा में नेपाल और भारत के बच्चों ने ये बात कही।

 

 

उन्होने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में जागरूकता अहम है। इस कार्य के लिए बड़ी संख्या में देश और विदेश के बच्चे आगे आ रहे हैं और पौध लगाने का अभियान चला रहे हैं।

 

परिचर्चा को संबोधित करते हुये विराटनगर, नेपाल के बाल पर्यावरण योद्धा डेनिस रिजल ने कहा कि पर्यावरण हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, इसको बचना होगा। मानव जीवन में पेड़-पौधों, पक्षियों, जानवरो की अहम भूमिका है। इस लिए हम सभी को मिलकर इसे बचाना ही होगा।

हमारी गौरैया और पर्यावरण योद्धा के अभियान से जुड़े भारत-नेपाल के बच्चों ने कहा- सबको आना होगा आगे, पक्षियों के साथ पर्यावरण को बचाना सबका दायित्व

रिजल ने कहा कि पूरे विश्व में पेड़ों को विकास के नाम पर काटा जा रहा है। इसका रास्ता तलाशना होगा। वहीं झारखंड की अमीषा महतो ने कहा कि मैंने जंगल को बहुत ही करीब से देखा है। मेरे गाँव मे पहाड़ और जंगल दोनों थे, परन्तु कोयला निकलने के लिए जंगल को काट दिया गया, जिससे गांव में गर्मी बढ़ने लगी। वहीं पृथ्वी पर लगातार जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन जंगल की संख्या अब तक सबसे कम है। संसाधनों के लालच में हमलोगों ने जंगल को तबाह कर दिया है। हमें पृथ्वी को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने होंगे ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके।

 

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दिल्ली के एकांश डंगवाल और दिव्यांश डंगवाल ने कहा कि पर्यावरण में हर जीव का विशेष महत्व हैं चाहे गिद्ध हो या कौवा। ये पर्यावरण को साफ रखने में मदद करते हैं। साथ ही पेड़ और पक्षी भी एक दूसरे से जुड़े हैं। पक्षी फल खाते हैं और बीज उनके विष्टा के माध्यम से दूर दूर तक पंहुच जाता है,जिससे वहां नये पौधों का जन्म होता है। हमें पक्षियों को दाना-पानी देना और उनका संरक्षण करना चाहिए।

 

परिचर्चा में विशेष अतिथि वक्ता के तौर पर पर्यावरण प्रेमी-चिंतक एवं निदेशक, पीआईबी, पटना के दिनेश कुमार ने कहा कि हरियाली का बहुत महत्व हैं। हमारे पास दो फेफड़े हैं,लेकिन यह भी ऑक्सीजन के बिना किसी काम के नहीं हैं और यह ऑक्सीजन पेड़ के पत्तों से हमें प्राप्त होता हैं, इसलिए पेड़ का हर पत्ता हमारा फेफड़ा है। उन्होने कहा कि प्रकृति बैंक है, जहाँ से हम ऑक्सीजन,पानी, खाना हर चीज़ लेते है, बदले में हम उसे कुछ नहीं देते हैं। बच्चों को आगे आना होगा ताकि वे विरासत को संभाल सकें।

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पीपल नीम तुलसी अभियान के संस्थापक डॉ.धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि हम लोगों को, खास कर बच्चों को, पर्यावरण संरक्षण से जोड़ना चाहिए। आज वैसे जंगल भी जो आरक्षित श्रेणी के अंतर्गत आते है, काटे जा रहे हैं जो कि एक सोचनीय विषय है। हम सब को मिल कर इन बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने का काम करना चाहिए।

परिचर्चा के आयोजक गौरैया संरक्षक व लेखक, संजय कुमार ने कहा कि लगातार जंगल कम हो रहे हैं, वनों को बेतहाशा उजाड़ने से वनावरण में रहने वाले कई वन्य जीव जंतु विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्ति के कगार पर पहुंच गए है। पृथ्वी को बचाने में पेड़ों की अहम भूमिका है। बच्चे पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आ रहे हैं यह महत्वपूर्ण पहल है।

पर्यावरण योद्धा,पटना के अध्यक्ष निशांत रंजन ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में युवाओं भी भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। पर्यावरण का आज जिस तीव्र गति से ह्रास हो रहा है, उससे मानव अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। हमारी गलतियों की सज़ा हमारे आने वाली पीढ़ी को मिल रही है। आज ज़्यादातर जीव संकटग्रस्त सूची में चले गये हैं, कोई भी ऐसा जीव नहीं हैं, जिसकी संख्या पिछले 100 सालों में कम नहीं हुई हैं। पहले जो क्षेत्र जंगलों के लिए प्रसिद्ध थे, आज वे विशाल अपार्टमेंट और बड़े-बड़े घरों में तब्दील हो गये हैं। हमारी गौरैया और पर्यावरण योद्धा के अभियान से जुड़े भारत-नेपाल के बच्चों ने कहा- सबको आना होगा आगे, पक्षियों के साथ पर्यावरण को बचाना सबका दायित्वहमारे दादाजी ने निजी फुलवारी देखी थी, हमारे पिता जी ने बगीचे देखे और आज हम केवल मैदान देख रहे है,उनपर भी निर्माण कार्य चल रहा हैं।आने वाले समय में शायद ये भी न दिखे। अगर हमें अपने पर्यावरण को सुधारना है तो बच्चों और युवाओं को आगे आना होगा। कल हमारा है और हमें ही तय करना है कि हमें कैसा भविष्य चाहिए।

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परिचर्चा का संचालन संजय कुमार और धन्यवाद ज्ञापन निशांत रंजन ने किया। इस परिचर्चा में जहां देश और विदेश के बच्चे जुड़ें वहीं बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी और संरक्षक भी शामिल हुए।

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