पटना। आगामी 24 सितंबर को पहले चरण के पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से मुखिया और सरपंच के दायित्वों का निर्धारण कर दिया है।
मुखिया को जहां ग्रामसभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार होगा वहीं इनके जिम्मे विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की भी जिम्मेदारी होगी।
सरपंच गांवों में सड़कों के रख-रखाव से लेकर सिंचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्य करेंगे।
चुनाव से पहले ही पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से मुखिया और सरपंच के दायित्वों का निर्धारण कर दिया है।पंचायती राज विभाग के अनुसार मुखिया को अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें करनी होगी।
बैठक के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की योजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे और अन्य शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे होगा।
मुखिया के साथ सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं। ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और उनकी अध्यक्षता करने का अधिकार इन्हें मिला हुआ है।
इसके अलावा ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी इन्हीं के पास रहेंगी। इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करना और अलावा दाह संस्कार व कब्रिस्तान की रखरखाव का कार्य होगा।
इनके अलावा पंचायत समिति को जो कार्य सौंपे गए हैं उसके अनुसार इन्हें केंद्र, राज्य और जिला परिषद द्वारा सौंपे कार्यों का निष्पादन करना होगा। पंचायत समिति का वार्षिक बजट बनाना व बजट पेश करना होगा। प्राकृति आपदाओं में पंचायत समिति प्रमुख को 25 हजार रुपये तक खर्च करने का अधिकार होगा।
उल्लेखनीय है कि पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है और 24 सितंबर को पहले चरण का मतदान होना है। कुल 11 चरणों में पंचायत चुनाव कराए जाने हैं।
इस बीच मुखिया और सरपंच के कार्यों का बंटवारा पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से कर दिया है। दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में मुखिया का पद मलाईदार माना जाता रहा है। लेकिन, अब नए सिरे से कार्य निर्धारण के बाद सरपंच को भी कई अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं।