नई दिल्ली। जनता दल (यू) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और समाजवादी नेता शरद यादव रविवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में 25 साल बाद फिर से शामिल हो गए।
इसके साथ ही, आज का दिन बिहार की राजनीति के लिहाज से बेहद खास है। पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) ने आज अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय राष्ट्रीय लोकदल (RJD) में कर दिया है।
आधिकारिक तौर पर इसको लेकर बयान जारी करते हुए लोकतांत्रिक जनता पार्टी के मुखिया शरद यादव ने कहा कि हमारी पार्टी का आरजेडी में विलय, विपक्ष की एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को हराने के लिए भारत के विपक्ष को एकजुट होना ही पड़ेगा।
वरिष्ठ समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव (Sharad Yadav) की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) का राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में आज विलय हो गया। इस दौरान शरद यादव ने कहा कि ये विलय व्यापक एकता के लिए पहला कदम है।
इसमें हमने अपनी पहल कर दी है, पूरे देश के विपक्ष के एक होने के बाद ही बीजेपी को हरा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार का आने वाला भविष्य तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) हैं।
उन्होंने लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली राजद में अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) के विलय की घोषणा करते हुए इसे विपक्षी एकता की दिशा में पहला कदम बताया है।
विलय के बाद उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का अब राजद में विलय विपक्षी एकता की ओर पहला कदम है। यादव ने यहां कहा कि यह जरूरी है कि भाजपा को हराने के लिए पूरे देश में विपक्ष एकजुट हो जाए। अभी तक एकीकरण हमारी प्राथमिकता है, इसके बाद ही हम सोचेंगे कि एकजुट विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा।
इससे पहले राजद नेता तेजस्वी यादव और राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने शरद यादव से उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर मुलाकात की। बताया जा रहा है कि तेजस्वी ने शरद यादव को आश्वासन दिया है कि वह राज्यसभा चुनाव के लिए राजद के दो उम्मीदवारों में से वे एक होंगे। यह चुनाव जून में होने हैं।
उल्लेखनीय है कि 1997 में जनता दल अध्यक्ष के चुनाव में लालू प्रसाद और शरद के बीच प्रतिद्वंदिता के कारण शरद को पार्टी से बाहर होना पड़ा था। इसके बाद लालू ने राजद का गठन किया था। वहीं जनता दल का नीतीश कुमार की ओर से गठित समता पार्टी में विलय हो गया और शरद जदयू के पहले अध्यक्ष बने।
बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन के कारण जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होने के बाद मई 2018 में शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) का गठन किया।
साथ ही शरद यादव ने कहा कि ये विलय व्यापक एकता के लिए पहला कदम है। इसमें हमने अपनी पहल कर दी है, पूरे देश के विपक्ष के एक होने के बाद ही (बीजेपी को) हरा सकते हैं। बिहार का आने वाला भविष्य तेजस्वी यादव है। साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारी प्राथमिकता पार्टियों का एककीकरण ही है, जब सब एकजुट हो जाएंगे तो सोचेंगे कि विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा।
इस बीच खबरें आ रही है कि शरद यादव को लालू यादव की पार्टी राज्यसभा भेज सकती है। दरअसल इस साल जुलाई में बिहार में राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं, जिसमें दो सीटें बीजेपी, एक सीट जीडेयू और दो सीटें आरजेडी के पास जाएगी। जानकारी के मुताबिक कि तेजस्वी ने शरद यादव को राज्यसभा भेजने का आश्वासन भी दिया है।
शरद यादव ने 16 मार्च को ही इस बात का ऐलान कर दिया था कि वह लालू के साथ अपनी पार्टी का विलय कर देंगे। उन्होंने ट्वीट करके लिखा था, देश में मजबूत विपक्ष स्थापित करना समय की मांग है।मैं इस दिशा में न केवल बिखरी हुई तत्कालीन जनता दल बल्कि अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा हूं और इसीलिए अपनी पार्टी एलजेडी का राजद में विलय करने का फैसला किया।
नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जनता दल यूनाईटेड (JDU) से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन कर लिया था। उस समय शरद यादव के साथ अली अनवर सहित कई बड़े नेताओं ने जेडीयू छोड़ दी थी। इसके बाद शरद यादव साल 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव भी लड़े, लेकिन उन्हें जेडीयू के दिनेश्वर यादव से हार का सामना करना पड़ा था।