मई,18,2024
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शराब मिलने पर जाएगी थानेदारी, 10 सालों तक नहीं बनेंगे थानाध्यक्ष…शराबबंदी पर सीएम नीतीश कुमार की दो टूक

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई थी। करीब 7 घंटे तक चली मैराथन बैठक में मंत्री से लेकर अधिकारी और जिलों से डीएम-एसपी जुड़े थे।

 

समीक्षा बैठक के दौरान थानेदार पर ही पूरी जिम्मेदारी थोप दी गई। जिनके क्षेत्र में शराब बरामद हुआ तो उनकी थानेदारी तो जायेगी ही,सीधी भूमिका होने पर 10 सालों तक थानेदारी से वंचित होना पड़ेगा। हालांकि डीजीपी ने कहा कि सिर्फ थानेदार ही नहीं बल्कि ऊपर के अधिकारियों पर भी शो-कॉज होगा।

जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शराबबंदी पर समीक्षा बैठक हुई। यह बैठक करीब 7 घंटे तक चली। बैठक में मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे। शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बातचीत की और कई आवश्यक निर्देश भी दिए।

बैठक में शराबबंदी कानून को और सख्ती से लागू करने का फैसला लिया गया और शराब को लेकर लगातार छापेमारी अभियान चलाया जाएगा। जिलों के प्रभारी मंत्रियों को शराबबंदी की समीक्षा का अधिकार दिया गया है। सेंट्रल टीम अगर जिले में जाती है और शराब रिकवर होता है तो थानाध्यक्ष निलंबित होंगे।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद व डीजीपी एसके सिंघल ने बैठक में लिए गये फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शराब मिलने पर थानाध्यक्ष को सस्पेंड किया जाएगा। शराब मिलने की जानकारी चौकीदार ने नहीं दी तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। होम डिलीवरी करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

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शराब मिलने पर जाएगी थानेदारी, 10 सालों तक नहीं बनेंगे थानाध्यक्ष...शराबबंदी पर सीएम नीतीश कुमार की दो टूक

बैठक के बाद डीजीपी व गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव ने प्रेस कांफ्रेंस की। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने बताय़ा कि मुख्यमंत्री ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने को कहा है। जिन थानों में शराब को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, उन पर एक्शन लिया जाएगा।

कहीं अगर सरकारी कर्मचारी की मिलीभगत से शराब आ रही है, उसे माफ नहीं करने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा केंद्रीय टीम अगर जिले में जाकर कार्रवाई करती है तो वहां के अधिकारी पर भी एक्शन लिया जाएगा। कॉल सेंटर में सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखने को कहा गया है।

सारे प्रभारी मंत्री व सचिव को कहा गया है कि वे कम से कम एक दिन प्रभार वाले जिलों में जाकर समीक्षा करें। दूसरे राज्यों से जो शराब आ रहे हैं उस पर कार्रवाई करना है। मुख्याल्य स्तर के अधिकारी लगातार फील्ड में जायेंगे और शराबबंदी को सफल बनायेंगे।

डीजीपी एसके सिंघल ने बताया

यदि इलाके में शराब मिलेगी तब थाना प्रभारी पर कार्रवाई की जाएगी। थाना प्रभारी को दस साल तक जिम्मेदारी नहीं मिलेगी। वही चौकीदार और जमादार को शराब की जानकारी वरीय अधिकारी को देनी होगी। शराब की होम डिलीवरी को लेकर किये गए सवाल पर डीजीपी ने कहा कि होम डिलीवरी को लेकर पुलिस सजग है इससे पहले भी शराब की होम डिलीवरी करने वालों पर कार्रवाई की गयी है अब ऐसे लोगों पर खास नजर रखी जाएगी।

वही गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने बताया कि शराबबंदी पर हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई आवश्यक निर्देश दिए हैं। शराबबंदी को बिहार में कड़ाई से लागू किया जाएगा। जिस थाना क्षेत्र में शराब कारोबारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है उस क्षेत्र में कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

सूचना तंत्र को और मजबूत किया जाएगा

बार्डर पर चौकसी बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। कॉल सेंटर में जो शिकायते आ रही है उसे गंभीरता से लेते हुए मामले पर कार्रवाई की जाए। यदि दूसरे राज्यों से शराब बिहार में आ रही है तो उसे रोका जाएगा। वही शराब की होम डिलीवरी को भी रोका जाएगा। जो भी व्यक्ति शराब की होम डिलीवरी करते पाए जाएंगे उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।

शराबबंदी को लेकर हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि सरकारी कर्मचारी की मिलीभगत होने पर उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। शराब मिलने पर स्थानीय स्तर पर अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। कॉल सेंटर की सक्रियता बढ़ाने पर भी चर्चा हुई। वही शराब की सूचना देने वालों की पहचान उजागर नहीं होगी।

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शराबबंदी कानून को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा। पश्चिम बंगाल, यूपी और झारखंड बॉडर पर सख्ती की जाएगी। शहरों में होम डिलीवरी को लेकर सख्ती बरती जाएगी। घरों में शराब की होम डिलीवरी होने पर छापेमारी कर होम डिलीवरी करने वालों की पहचान की जाएगी। सूचना तंत्र को और मजबूत किया जाएगा।

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डीजीपी ने एस के सिंघल ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इंटेलिजेंस मशीनरी को और बढ़ा कर छापेमारी करनी है। जो शराब का व्यापार कर रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई करनी है। किसी भी जिले के थाने में केंद्रीय टीम जाती है और शऱाब बरामद होती है तो थानेदार पर कार्रवाई होगी। हमारी प्राईमरी ड्यूटी क्राइम कंट्रोल है, इसमें कोई कमी नहीं करते हुए शराबबंदी को भी सफल बनाना है।

किसी थानेदार की शिकायत आती है तो उसे 10 सालों तक थानेदारी नहीं मिलेगी। अगर सीधी भूमिका आती है तो उसे डिसमिश किया जायेगा। पुलिस मुख्यालय के स्तर पर लगातार रिव्यू करना है कि जो निर्देश दिया जा रहा वो जमीन पर उतर रहा या नहीं। डीजीपी ने आगे कहा कि चौकीदार-दफादार की बुनियादी जिम्मेदारी गांव के संबंध में जानकारी देनी है। उन्हें शराब के बारे में सूचना देना है। अगर वे यह काम नहीं करते हैं तो उन पर भी कार्रवाई होगी।

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