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22 जनवरी, 2024
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बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों का बनेगा आधार कार्ड, मिला 15 दिनों का टारगेट

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बिहार: सरकारी स्कूलों में छात्रों के आधार कार्ड निर्माण पर विशेष अभियान

पटना: बिहार सरकार ने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए आधार कार्ड निर्माण की प्रक्रिया को तेज करने का निर्णय लिया है। राज्य में नामांकित कुल 1.80 करोड़ छात्रों में से लगभग 22.77 लाख बच्चों के पास अभी तक आधार कार्ड नहीं है, जिससे वे सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो रहे हैं।

बच्चों का डेटा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज करना

इसके साथ ही, सभी बच्चों का डेटा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज करना अनिवार्य है, ताकि योजनाओं का सही और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित किया जा सके।

जिलाधिकारियों को मिली नई जिम्मेदारी

  • शिक्षा विभाग ने बच्चों की आधार कार्ड प्रक्रिया की जिम्मेदारी अब जिला शिक्षा अधिकारियों से हटाकर जिलाधिकारियों को सौंपी है।
  • अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने निर्देश दिया है कि यह कार्य 15 दिनों के भीतर पूरा किया जाए।
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ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर डेटा प्रविष्टि अनिवार्य

  • सभी बच्चों का डेटा ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा।
  • इससे योजनाओं का सही और निष्पक्ष वितरण सुनिश्चित होगा।

सरकार की प्राथमिकताएं

  1. आधार कार्ड निर्माण:
    • बच्चों के नाम और विवरणों की सूची जिलाधिकारियों को भेजी जा चुकी है।
    • स्कूल स्तर पर प्रक्रिया तेज करने के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया जाएगा।
  2. योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करना:
    • शिक्षा विभाग का उद्देश्य है कि सभी छात्र सरकारी योजनाओं जैसे मध्याह्न भोजन, छात्रवृत्ति, और वर्दी वितरण का लाभ उठा सकें।
  3. डेटा की निगरानी:
    • प्रत्येक जिले से प्रक्रिया की नियमित रिपोर्टिंग की जाएगी।
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चुनौतियां और संभावनाएं

  • चुनौतियां:
    • दूरदराज के क्षेत्रों में आधार कार्ड नामांकन केंद्रों की कमी।
    • बच्चों और अभिभावकों को प्रक्रिया के प्रति जागरूक करना।
  • संभावनाएं:
    • आधार कार्ड निर्माण से बच्चों को न केवल योजनाओं का लाभ मिलेगा, बल्कि उनकी पहचान को भी डिजिटल रूप से सशक्त किया जाएगा।

बिहार सरकार का यह कदम छात्रों के शैक्षणिक और सामाजिक सशक्तिकरण में मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि निर्धारित समयसीमा में कार्य पूरा हो जाता है, तो यह राज्य में शिक्षा और विकास को नई दिशा देगा। अब सबकी नजरें जिलाधिकारियों पर हैं, जो इस अभियान को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी निभाएंगे।

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