औरंगाबाद न्यूज़
जिस जमीन पर मंदिर और कब्रिस्तान, दोनों का दावा था, उस पर सालों से एक बड़ा पेंच फंसा हुआ था. लेकिन अब एक आपसी सहमति ने तरारी की तकदीर बदलने का रास्ता खोल दिया है. जानिए कैसे एक समझौते के बाद अब यहां उस प्रोजेक्ट का काम शुरू हो गया है, जो इलाके को गंदगी से निजात दिलाएगा.
आपसी सहमति से निकला समाधान
बिहार के औरंगाबाद जिले के तरारी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) का निर्माण कार्य आखिरकार शुरू हो गया है. यह प्रोजेक्ट एक लंबे समय से जमीन विवाद के कारण अटका हुआ था. जिस भूमि पर प्लांट का निर्माण होना है, उस पर मंदिर और कब्रिस्तान, दोनों पक्षों की ओर से दावा किया जा रहा था, जिससे प्रशासनिक स्तर पर काम आगे नहीं बढ़ पा रहा था.
लगातार बातचीत और बैठकों के बाद दोनों पक्षों के बीच एक आम सहमति बनी, जिसने इस महत्वपूर्ण परियोजना का मार्ग प्रशस्त कर दिया. इस समझौते के बाद प्रशासन ने तेजी दिखाते हुए प्लांट के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे स्थानीय निवासियों में खुशी का माहौल है.
एक एकड़ में बनेगा प्लांट, ये होंगी सुविधाएं
एसटीपी प्लांट के निर्माण के लिए कुल एक एकड़ भूमि का चयन किया गया है. इस जमीन पर एक सुव्यवस्थित प्लांट स्थापित करने की योजना है, जिसमें कई महत्वपूर्ण संरचनाएं शामिल होंगी. प्रोजेक्ट के तहत निम्नलिखित निर्माण कार्य कराए जाएंगे:
- एक एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग (प्रशासनिक भवन)
- कचरा स्टोर करने के लिए एक अलग यूनिट
- जल को शुद्ध करने के लिए क्यूरीफाइन यानी शोधन इकाई
शोधित होकर नहर में जाएगा पानी
इस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गंदे पानी का वैज्ञानिक तरीके से उपचार करना है. प्लांट में जल शोधन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद साफ किए गए पानी को पास की नहर में छोड़ा जाएगा. इस योजना से न केवल जल प्रदूषण की समस्या पर लगाम लगेगी, बल्कि इलाके में गंदगी और जलजमाव जैसी समस्याओं से भी बड़ी राहत मिलेगी.
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस प्लांट के शुरू हो जाने से उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा और क्षेत्र में स्वच्छता को बढ़ावा मिलेगा.








