Banka Jail News: सलाखों के पीछे की दुनिया में भी अब उम्मीद की नई किरणें जगमगा रही हैं, जहां बांका मंडल कारा के बंदियों ने एक ऐसा कदम उठाया है जो उनके भविष्य को नई दिशा दे सकता है।
बांका मंडल कारा के 36 बंदियों ने राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया है। यह पहल न केवल इन बंदियों के लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि कारागार सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। इस पंजीकरण के माध्यम से बंदियों को रिहाई के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ने और सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा। एनसीएस पोर्टल भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य नौकरी चाहने वालों और नियोक्ताओं को एक मंच पर लाना है।
Banka Jail News: आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाते बंदी
इस पहल के तहत, बांका मंडल कारा के 36 बंदियों को एनसीएस पोर्टल पर सफलतापूर्वक पंजीकृत किया गया है। यह पंजीकरण उन्हें विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों और रोजगार के अवसरों की जानकारी तक पहुंच प्रदान करेगा। जेल प्रशासन का मानना है कि ऐसे कदम बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं और उनमें सकारात्मक बदलाव लाते हैं। इससे वे अपनी रिहाई के बाद आत्मनिर्भर बन सकते हैं, और अपराध की दुनिया से दूर रहकर एक सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह पोर्टल उन सभी व्यक्तियों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है, जिन्हें अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार रोजगार की तलाश है।
बंदियों के इस पंजीकरण से उन्हें न सिर्फ नौकरी संबंधी सूचनाएं मिलेंगी, बल्कि वे अपनी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी हिस्सा ले सकेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि जब वे जेल से बाहर आएं, तो उनके पास कौशल हो और वे तुरंत काम शुरू कर सकें। इस प्रकार के प्रयासों से समाज में उनके पुनर्वास की प्रक्रिया भी आसान होती है।
भविष्य की दिशा तय करता पोर्टल
एनसीएस पोर्टल पर पंजीकरण के बाद, बंदियों को उनकी योग्यता और कौशल के आधार पर विभिन्न कंपनियों में उपलब्ध रिक्तियों के बारे में नियमित अपडेट प्राप्त होंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और सभी बंदियों को समान अवसर प्रदान करती है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। कारागार अधीक्षक ने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बंदियों को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें समाज के लिए उपयोगी नागरिक बनाना है। यह एक सराहनीय पहल है जो बंदियों को एक बेहतर भविष्य की दिशा में अग्रसर करती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कारागार से कौशल विकास तक
इस कदम से बंदियों में यह उम्मीद जगी है कि वे अपनी रिहाई के बाद अपनी आजीविका कमाने में सक्षम होंगे। एनसीएस पोर्टल के माध्यम से उन्हें न केवल नौकरी ढूंढने में मदद मिलेगी, बल्कि वे अपनी क्षमताओं को निखारने के लिए विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों से भी जुड़ पाएंगे। इस पहल से सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी और अपराध दर में भी कमी आने की संभावना है। यह दर्शाता है कि सरकार और जेल प्रशासन दोनों ही बंदियों के कल्याण और उनके पुनर्वास के प्रति गंभीर हैं, जिससे उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर मिल सकें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


