पटना हाईकोर्ट का बड़ा एक्शन! अतिक्रमण हटाने में लापरवाही-दोबारा हुआ तो सीधे थाना प्रभारी होंगे सस्पेंड।‘औपचारिकता नहीं चलेगी’ – कोर्ट ने कहा, लापरवाही पर SHO होंगे बर्खास्त। पटना हाईकोर्ट का अल्टीमेटम – सार्वजनिक जगहों पर कब्जा दोबारा हुआ तो SHO पर होगी कड़ी कार्रवाई@पटना,देशज टाइम्स।
रेलवे स्टेशन, सड़क और सार्वजनिक स्थलों पर लगातार?
पटना, देशज टाइम्स। रेलवे स्टेशन, सड़क और सार्वजनिक स्थलों पर लगातार हो रहे अतिक्रमण पर पटना हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अतिक्रमण दोबारा होने की स्थिति में संबंधित थाना प्रभारी (SHO) जिम्मेदार माने जाएंगे और उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई, यहां तक कि निलंबन भी हो सकता है।
क्या कहा कोर्ट ने?
अतिक्रमण हटाने में लापरवाही अब नहीं चलेगी। यदि किसी क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया गया और कुछ ही दिन में दोबारा कब्जा हो गया तो THANA INCHARGE को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। 7 मई को अतिक्रमण हटाया गया, 9 मई को फिर से हो गया कब्जा, कोर्ट ने इसे प्रशासनिक विफलता बताया। बार-बार अतिक्रमण करने वालों की सूची, नाम, पता, मोबाइल नंबर सहित तैयार करने और कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश।
प्रमुख आदेश बिंदु (Key Directions)
SHO पर सीधी जवाबदेही:
बार-बार अतिक्रमण की स्थिति में संबंधित थाने के थाना प्रभारी (SHO) होंगे जिम्मेदार।DM को विशेष आदेश:
जिला पदाधिकारी को सभी थानों को स्पष्ट निर्देश देने के आदेश।आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश:
बार-बार अतिक्रमण करने वालों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश।हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश:
“सीनियर डिविजनल सिक्योरिटी कमिश्नर, आरपीएफ” को पार्किंग, यातायात, अग्निशमन समन्वय पर हलफनामा देने का आदेश।जिला प्रशासन को निगरानी के लिए निर्देश:
कोर्ट ने कहा, अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता नहीं होनी चाहिए। स्थायी समाधान की दिशा में कदम जरूरी हैं।
पृष्ठभूमि: किस मामले पर हुआ फैसला?
अधिवक्ता रौनक सिंह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई। कोर्ट ने “अरुण कुमार मुखर्जी बनाम राज्य (CWJC No. 2290/1990)” के ऐतिहासिक फैसले का हवाला दिया। सुनवाई की अगली तारीख 15 जुलाई 2025, डीएम की व्यक्तिगत उपस्थिति पर फिलहाल रोक।
अंतिम चेतावनी जैसी सख्ती
कोर्ट का यह आदेश पटना समेत पूरे बिहार में अतिक्रमण पर लगाम कसने की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता पर पहली बार थाना स्तर तक की जवाबदेही तय की गई है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन और पुलिस इस आदेश को कितनी गंभीरता से लेते हैं।