पटना।बिहार की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था एक बड़े बदलाव की दहलीज़ पर है। सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है जिससे न सिर्फ़ सफ़र आसान और आरामदायक होगा, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा होगी। आख़िर क्या है बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (BSRTC) का यह मास्टरप्लान और कैसे महिलाओं के लिए सफ़र पहले से कहीं ज़्यादा सुरक्षित होने वाला है?
बिहार सरकार राज्य में प्रदूषण मुक्त परिवहन व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक योजना पर काम कर रही है। इस पहल के केंद्र में BSRTC है, जिसके बेड़े को आधुनिक और पर्यावरण के अनुकूल बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य डीज़ल से चलने वाली पुरानी बसों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर उनकी जगह CNG और इलेक्ट्रिक बसों को लाना है, ताकि कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके और यात्रियों को एक स्वच्छ वातावरण में यात्रा का अनुभव मिल सके।
यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि इससे बसों के संचालन की लागत में भी कमी आने की उम्मीद है, जिसका लाभ अंततः यात्रियों को मिल सकता है।
पर्यावरण के अनुकूल बसों का बढ़ता बेड़ा
वर्तमान में, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (BSRTC) राज्य के 187 विभिन्न रूटों पर अपनी सेवाएं दे रहा है। निगम के बेड़े में कुल 840 बसें शामिल हैं, जिनमें पर्यावरण के अनुकूल वाहनों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। मौजूदा बेड़े की संरचना इस प्रकार है:
- कुल बसें: 840
- CNG बसें: 266
- इलेक्ट्रिक बसें: 25
ये आंकड़े दिखाते हैं कि BSRTC अपने बेड़े का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पहले ही स्वच्छ ईंधन पर स्थानांतरित कर चुका है और आने वाले समय में इस संख्या को और बढ़ाने की तैयारी है।
महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता, जल्द आएंगी 100 पिंक बसें
राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू महिला सुरक्षा है। महिला यात्रियों को एक सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए, BSRTC जल्द ही 100 विशेष ‘पिंक बसें’ चलाने की तैयारी कर रहा है। ये बसें विशेष रूप से महिलाओं के लिए होंगी और इनमें सुरक्षा के अत्याधुनिक इंतज़ाम किए जाएंगे।
इन पिंक बसों में पैनिक बटन, GPS ट्रैकिंग और सीसीटीवी कैमरों जैसी आधुनिक सुविधाएँ होंगी, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल मदद पहुँचाई जा सके। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें यात्रा के दौरान पूरी तरह से सुरक्षित महसूस कराना है। यह कदम राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।








