Bihar Cyber Crime: सोशल मीडिया, जो कभी दूरियों को पाटता था, आज वही शातिरों के लिए नया शिकारगाह बन गया है। बिहार में एक ऐसी घटना सामने आई है, जहां डिजिटल जालसाजी ने एक परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया।
Bihar Cyber Crime: लापता बच्चे की तस्वीर सोशल मीडिया पर डालना पड़ा भारी, साइबर अपराधियों ने किया ‘डिजिटल अपहरण’ और ठगे 50 हजार
Bihar Cyber Crime: लापता बच्चे के नाम पर साइबर अपराधियों का नया पैंतरा
मोतिहारी (बिहार): मोतिहारी के आजाद नगर से एक बच्चे के लापता होने के बाद उसके परिवार ने मदद की आस में उसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की थी। लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि उनकी यह कोशिश उन्हें एक बड़े ऑनलाइन ठगी का शिकार बना देगी। अपराधियों ने इस तस्वीर का दुरुपयोग करते हुए बच्चे के अपहरण का झूठा डर दिखाया और परिजनों से 50 हजार रुपये ऐंठ लिए। यह घटना दर्शाती है कि कैसे साइबर अपराधी लोगों की भावनाओं का फायदा उठाकर उन्हें अपना शिकार बना रहे हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। परिवार की शिकायत के बाद, पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल बच्चे को सकुशल बरामद किया, बल्कि इस पूरे मामले के पीछे छिपी ऑनलाइन ठगी का भी पर्दाफाश किया।
यह घटना तब शुरू हुई जब आजाद नगर का एक बच्चा अचानक लापता हो गया। परेशान परिवार ने बच्चे की तलाश में हर संभव प्रयास किया और उसकी तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डाल दी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक यह बात पहुंच सके और कोई उनके बच्चे को ढूंढने में मदद कर सके। लेकिन कुछ ही समय बाद, परिवार को अनजान नंबरों से धमकी भरे फोन आने लगे। इन फोन कॉल पर अपराधियों ने बच्चे की एडिट की हुई तस्वीरें भेजीं, जिनमें ऐसा लग रहा था मानो बच्चा सचमुच खतरे में हो। उन्होंने बच्चे को छोड़ने के बदले 50 हजार रुपये की फिरौती मांगी। अपने बच्चे की जान के डर से, परिवार ने तुरंत अपराधियों द्वारा बताए गए खाते में पैसे जमा करवा दिए। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और जालसाजों का पर्दाफाश
पैसे मिलने के बाद भी जब बच्चा घर नहीं लौटा, तो परिवार को शक हुआ और उन्होंने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत जांच शुरू की। तकनीकी टीम की मदद से पुलिस ने फोन कॉल्स और ट्रांजैक्शन डिटेल्स को ट्रैक किया। कुछ ही घंटों की मशक्कत के बाद, पुलिस ने बच्चे को सकुशल ढूंढ निकाला। चौंकाने वाली बात यह थी कि बच्चा अपहरणकर्ताओं के पास नहीं, बल्कि अपने एक दोस्त के घर पर था। उसे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उसके लापता होने को लेकर इस तरह का साइबर फ्रॉड चल रहा है। यह पूरी घटना स्पष्ट रूप से एक सुनियोजित ऑनलाइन ठगी का मामला था, जहां अपराधियों ने सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी का दुरुपयोग किया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। पुलिस ने इस मामले में आगे की जांच शुरू कर दी है और जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी की उम्मीद है। इस घटना ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत जानकारी साझा करने की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया पर बच्चों की तस्वीरें या निजी जानकारी साझा करते समय अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। अपराधियों के लिए ऐसी जानकारी का दुरुपयोग करना अब बेहद आसान हो गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। किसी भी संदिग्ध गतिविधि या धमकी भरे कॉल आने पर तुरंत पुलिस को सूचना देना सबसे महत्वपूर्ण कदम है। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचें और अज्ञात व्यक्तियों द्वारा भेजी गई किसी भी लिंक या जानकारी पर विश्वास न करें।



