पटना: पश्चिम बंगाल के एक पोस्टर ने बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है. अयोध्या विवाद के बाद अब बंगाल से उठी एक चिंगारी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. इस पूरे मामले पर बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने ऐसा बयान दिया है, जिसने इस मुद्दे को और गरमा दिया है.
दरअसल, यह पूरा विवाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में लगे एक पोस्टर से शुरू हुआ, जिसमें बाबरी मस्जिद के शिलान्यास की बात कही गई है. इस पोस्टर के सामने आने के बाद ही राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया, जिसकी गूंज बिहार तक सुनाई दे रही है. बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने इस पर बेहद सख्त और स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है.
क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक पोस्टर लगाया गया है. इस पोस्टर में आगामी 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद की नींव रखने (शिलान्यास) की घोषणा की गई है. आरोपों के मुताबिक, यह घोषणा स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) विधायक की ओर से की गई है. हालांकि, इन आरोपों की अभी पुष्टि होनी बाकी है, लेकिन पोस्टर ने एक बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है.
6 दिसंबर की तारीख का चुनाव भी इस मामले को और संवेदनशील बना रहा है, क्योंकि इसी दिन अयोध्या में विवादित ढांचे का विध्वंस हुआ था. इस वजह से इसे एक सोची-समझी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका असर अब बिहार की राजनीति पर भी पड़ने लगा है.
डिप्टी सीएम का कड़ा बयान
मुर्शिदाबाद के इस पोस्टर विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार सिन्हा ने अपना रुख साफ कर दिया. उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, “भारत में अब बाबरी मस्जिद नहीं बनेगी. अब यहां केवल भगवान राम और माता जानकी के मंदिर ही बनेंगे.”
विजय सिन्हा ने इस तरह की घोषणाओं को तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा बताया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग समाज में विद्वेष फैलाकर अपना राजनीतिक फायदा साधना चाहते हैं, लेकिन देश की जनता अब ऐसे बहकावे में नहीं आने वाली है. उनका यह बयान बंगाल की घटना पर बिहार सरकार के कड़े रुख को दर्शाता है.
राजनीतिक मायने और बढ़ती हलचल
इस पूरे घटनाक्रम के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. एक तरफ जहां अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है, वहीं दूसरी तरफ बंगाल से इस तरह की खबर आना राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है. बीजेपी ने इसे तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति करार दिया है, जबकि टीएमसी की ओर से इस पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
फिलहाल, एक राज्य का मामला अब दूसरे राज्यों की सियासत को भी प्रभावित कर रहा है. बिहार में बीजेपी नेताओं के बयानों से साफ है कि वे इस मुद्दे को हल्के में नहीं लेने वाले और आने वाले दिनों में इस पर राजनीति और तेज हो सकती है.







