पटना न्यूज़
बिहार की सड़कों पर अब फर्राटा भरने का समय आने वाला है। राज्य में एक-दो नहीं, बल्कि कई बड़े एक्सप्रेसवे का ऐसा जाल बिछने जा रहा है, जो आने वाले कुछ ही सालों में बिहार की तस्वीर हमेशा के लिए बदल कर रख देगा। जानिए कैसे 1.18 लाख करोड़ रुपये का यह मेगा प्रोजेक्ट आपकी यात्रा को हमेशा के लिए बदलने वाला है।
बिहार में अगले दो से तीन साल सड़क और परिवहन के बुनियादी ढांचे के लिए ऐतिहासिक साबित होने वाले हैं। राज्य सरकार और केंद्र मिलकर प्रदेश में कुल पांच बड़े एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट्स पर सुपरफास्ट गति से काम शुरू कर चुके हैं। इन परियोजनाओं की कुल लागत 1.18 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2027 तक इन एक्सप्रेसवे के तैयार हो जाने से बिहार का ट्रैवल मैप पूरी तरह बदल जाएगा और विकास को एक नई रफ्तार मिलेगी।
बदलेगी राज्य की कनेक्टिविटी और व्यापार की तस्वीर
इन एक्सप्रेसवे का निर्माण केवल यात्रा के समय को कम करने के लिए नहीं हो रहा है, बल्कि इसका सीधा असर राज्य के व्यापार, वाणिज्य और औद्योगिक विकास पर भी पड़ेगा। बेहतर और तेज कनेक्टिविटी से माल ढुलाई आसान होगी, जिससे किसानों और व्यापारियों को अपने उत्पाद दूसरे राज्यों के बाजारों तक पहुंचाने में काफी सहूलियत होगी। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
ये एक्सप्रेसवे बिहार के प्रमुख शहरों और व्यावसायिक केंद्रों को पड़ोसी राज्यों के महत्वपूर्ण औद्योगिक हब से जोड़ेंगे। इससे न केवल बिहार के भीतर आवाजाही सुगम होगी, बल्कि दूसरे राज्यों के साथ भी व्यापारिक और सामाजिक संबंध मजबूत होंगे।
प्रमुख एक्सप्रेसवे जो बदलेंगे बिहार का चेहरा
इस विशाल योजना में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं, जो बिहार के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ेंगी। इनमें से कुछ प्रमुख एक्सप्रेसवे हैं:
- वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे: यह एक्सप्रेसवे बिहार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी और पश्चिम बंगाल के कोलकाता जैसे दो बड़े आर्थिक केंद्रों से सीधे जोड़ेगा। इससे बिहार के कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद और गया जैसे जिलों को सीधा लाभ मिलेगा।
- बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे: यह एक्सप्रेसवे राज्य के पश्चिमी छोर पर स्थित बक्सर को पूर्वी छोर पर स्थित भागलपुर से जोड़ेगा। यह एक तरह से बिहार के लिए ईस्ट-वेस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर का काम करेगा, जिससे राज्य के आंतरिक हिस्सों में कनेक्टिविटी अभूतपूर्व रूप से बेहतर हो जाएगी।
2027 तक पूरा करने का लक्ष्य
इन सभी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर काम तेज गति से चल रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले दो से तीन सालों के भीतर, यानी 2027 तक, इन सभी एक्सप्रेसवे को यातायात के लिए खोल दिया जाए। इन परियोजनाओं के पूरा होने के बाद बिहार न केवल सड़क नेटवर्क के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि यह पूर्वी भारत के लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन हब के रूप में भी उभरेगा।







