बिहार में अवैध बालू खनन और भू-माफियाओं के आतंक का अब अंत नजदीक है। लंबे समय से राज्य के लिए चुनौती बने इन माफियाओं पर लगाम कसने के लिए बिहार सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के सीधे आदेश के बाद पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एक विशेष कार्य बल का गठन किया है, जिसकी पैनी नजर अब इन अपराधियों पर होगी।
बिहार में बालू का अवैध खनन और भू-माफियाओं का आतंक कोई नई बात नहीं है। ये गतिविधियां न केवल सरकारी खजाने को चूना लगा रही थीं, बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई थीं। नदियों से अंधाधुंध बालू निकालने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा था, वहीं सरकारी और निजी जमीनों पर अवैध कब्जे से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ रही थीं।
उपमुख्यमंत्री का सख्त रुख: माफियाओं पर शिकंजा
इन गंभीर समस्याओं को देखते हुए, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। उनके आदेश के बाद ही पुलिस मुख्यालय ने इस विशेष कार्य बल के गठन की प्रक्रिया शुरू की। यह कदम राज्य में कानून का राज स्थापित करने और अवैध गतिविधियों को पूरी तरह से बंद करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि अवैध खनन और भूमि अतिक्रमण में लिप्त किसी भी व्यक्ति या समूह को बख्शा नहीं जाएगा।
विशेष कार्य बल (STF) का गठन और कार्यप्रणाली
पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) द्वारा गठित यह विशेष कार्य बल, बालू के अवैध खनन, बालू माफिया और भू-माफियाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई करेगा। इस टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य इन संगठित अपराधों के नेटवर्क को तोड़ना, दोषियों की पहचान करना और उन्हें कानून के दायरे में लाना है। यह टीम पूरे राज्य में इन अवैध गतिविधियों पर नजर रखेगी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। एसटीएफ को विशेष अधिकार दिए गए हैं ताकि वे बिना किसी दबाव के अपना काम कर सकें।
इस विशेष कार्य बल के गठन से उम्मीद है कि बिहार में अवैध खनन और भूमि विवाद से संबंधित अपराधों में कमी आएगी। सरकार के इस कदम को माफियाओं पर एक बड़ा प्रहार माना जा रहा है, जिससे राज्य में पारदर्शिता और सुशासन को बढ़ावा मिलेगा। अब देखना यह है कि यह टास्क फोर्स कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से इन चुनौतियों का सामना करती है और बिहार को माफियाराज से मुक्त कराती है।


