पटना न्यूज़: बिहार में अब सिर्फ़ ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि डिजिटल दुनिया में भी अपराधियों की खैर नहीं। जेल की सलाखों के पीछे से चल रहे खेल से लेकर सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही नफ़रत तक, सरकार ने एक ऐसा ‘चक्रव्यूह’ तैयार किया है जिससे बच निकलना लगभग नामुमकिन होगा।
बिहार सरकार ने राज्य में बढ़ते डिजिटल और साइबर अपराधों पर पूरी तरह से नकेल कसने के लिए अब तक का सबसे बड़ा और व्यापक अभियान शुरू कर दिया है। ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के तहत शुरू हुए इस ‘डिजिटल सफाई अभियान’ का दायरा सिर्फ साइबर पुलिस थानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी जद में जेल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और पूरा प्रशासनिक तंत्र शामिल है। सरकार का मकसद साफ है – टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर अपराध करने वालों के हर मंसूबे को नाकाम करना।
क्यों पड़ी इस ‘डिजिटल सफाई अभियान’ की ज़रूरत?
पिछले कुछ समय से ऐसी रिपोर्टें लगातार सामने आ रही थीं, जिनमें जेलों के अंदर से बड़े आपराधिक नेटवर्क चलाए जा रहे थे। कैदी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रंगदारी, धमकी और दूसरे अपराधों को अंजाम दे रहे थे। इसके अलावा, सोशल मीडिया का दुरुपयोग फेक न्यूज, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाली अफवाहें और संगठित अपराध के लिए भी बड़े पैमाने पर हो रहा था।
इन चुनौतियों को देखते हुए सरकार ने महसूस किया कि केवल पारंपरिक पुलिसिंग से इन पर काबू नहीं पाया जा सकता। एक ऐसी एकीकृत रणनीति की जरूरत थी जो अपराध के डिजिटल इकोसिस्टम पर एक साथ चोट करे। इसी सोच के साथ इस व्यापक अभियान की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें कई सरकारी विभाग मिलकर काम करेंगे।
एक्शन प्लान के तीन मुख्य टारगेट
इस मेगा अभियान को तीन प्रमुख मोर्चों पर एक साथ लॉन्च किया गया है, ताकि अपराधियों को कहीं से भी कोई मौका न मिल सके। सरकार का एक्शन प्लान इन तीन क्षेत्रों पर केंद्रित है:
- जेलों पर शिकंजा: जेलों के अंदर से होने वाले डिजिटल अपराधों को रोकना पहली प्राथमिकता है। इसके लिए जेलों में मोबाइल नेटवर्क जैमर को और प्रभावी बनाने, औचक निरीक्षण बढ़ाने और कैदियों तक मोबाइल फोन पहुंचने के नेटवर्क को तोड़ने पर काम किया जाएगा।
- सोशल मीडिया की निगरानी: दूसरा बड़ा निशाना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं। सरकार एक विशेष निगरानी तंत्र विकसित कर रही है जो अफवाहें, भड़काऊ पोस्ट और साइबर बुलिंग जैसी गतिविधियों पर नजर रखेगा। ऐसे कंटेंट को फैलाने वाले अकाउंट्स और ग्रुप्स पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
- प्रशासनिक तंत्र में सख्ती: अभियान का तीसरा पहलू सरकारी तंत्र को डिजिटल रूप से सुरक्षित और जवाबदेह बनाना है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग न कर सके और सरकारी डेटा पूरी तरह सुरक्षित रहे।
अब सिर्फ साइबर पुलिस के भरोसे नहीं
इस अभियान की सबसे खास बात यह है कि इसकी जिम्मेदारी सिर्फ साइबर पुलिस को नहीं दी गई है। यह एक समन्वित प्रयास है जिसमें गृह विभाग, जेल प्रशासन, सूचना प्रौद्योगिकी (IT) विभाग और बिहार पुलिस की विभिन्न इकाइयां एक साथ काम कर रही हैं। हर विभाग को उसकी विशेषज्ञता के अनुसार विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है – बिहार में एक ऐसा सुरक्षित डिजिटल वातावरण बनाना जहां आम नागरिक बिना किसी डर के इंटरनेट का उपयोग कर सकें और अपराधी तकनीक का गलत फायदा उठाने से पहले सौ बार सोचने पर मजबूर हों। यह अभियान बिहार में साइबर सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।







