Bihar Land Dispute: जमीन के पेचीदा मामले, अंचल कार्यालयों के अनगिनत चक्कर और तारीखों का अंतहीन सिलसिला, ये सब अब अतीत की बात होने वाले हैं। बिहार में भूमि संबंधी विवादों को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है, और इस बार वह सीधे जनता के द्वार पहुंच रही है।
बिहार लैंड डिस्प्यूट: डिप्टी सीएम खुद लेंगे अंचलाधिकारियों की क्लास, 15 दिनों में सुधरेगी जमाबंदी!
बिहार लैंड डिस्प्यूट: आखिर क्यों उठाना पड़ा सरकार को यह बड़ा कदम?
बिहार में जमीन से जुड़े विवादों का निपटारा अब ऑन-द-स्पॉट किया जाएगा। महीनों से फाइलों में धूल फांक रही शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई होगी। राज्य सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब जमीन के कागज ठीक कराने के लिए लोगों को दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। डिप्टी सीएम स्वयं इन मामलों में हस्तक्षेप कर रहे हैं, जो एक बड़ा संकेत है कि सरकार इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से ले रही है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह पहल उन लाखों लोगों के लिए राहत लेकर आई है, जो वर्षों से अपनी पुश्तैनी जमीन के भूलेख या भूमि रिकॉर्ड में सुधार के लिए संघर्ष कर रहे थे।
डिप्टी सीएम ने सभी अंचलाधिकारियों (CO) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे लोगों की समस्याओं को गंभीरता से लें और उनका तत्काल समाधान करें। अब अंचल कार्यालयों में आयोजित होने वाली सुनवाई में डिप्टी सीएम खुद शामिल होकर अंचलाधिकारियों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करेंगे। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पारिमार्जन प्लस जैसे ऑनलाइन आवेदनों पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई हो और जमाबंदी सुधार में कोई ढिलाई न बरती जाए।
राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की है कि पारिमार्जन प्लस के माध्यम से प्राप्त भूमि सुधार संबंधी आवेदनों का निपटारा अब मात्र 15 दिनों के भीतर करना अनिवार्य होगा। यह एक क्रांतिकारी कदम है, जो पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाएगा। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। बिहार लैंड डिस्प्यूट को सुलझाने के लिए यह सरकारी पहल वाकई काबिले तारीफ है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इसका सीधा असर उन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ेगा जो अपनी जमीन के मालिकाना हक को लेकर सालों से जूझ रहे थे।
पारिमार्जन प्लस: क्या है यह योजना और कैसे मिलेगा लाभ?
पारिमार्जन प्लस योजना, बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई एक ऑनलाइन सुविधा है, जिसके तहत नागरिक अपनी जमीन से संबंधित त्रुटियों, जैसे नाम में गलती, रकबे में अंतर या खाता-खेसरा में सुधार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस नई व्यवस्था के तहत, इन आवेदनों पर पहले से तय समय-सीमा के भीतर कार्रवाई की जाएगी और शिकायतों का निवारण सुनिश्चित किया जाएगा। डिप्टी सीएम की सीधी निगरानी इस प्रक्रिया को और भी प्रभावी बनाएगी। यह कदम बिहार में भूमि सुधारों की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।




