Bihar Naxalism: कभी लाल आतंक से दहलता बिहार, आज अमन की नई इबारत लिख रहा है। शांत हुई बंदूकें, थम गया खौफ का साया। राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने अब जो दावा किया है, वह बिहार की एक नई तस्वीर पेश करता है।
बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर लंबे समय से उठते सवालों के बीच, सरकार और पुलिस मुख्यालय ने एक अभूतपूर्व दावा किया है। राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने हाल ही में घोषणा की कि बिहार अब पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो चुका है। यह बयान राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो दशकों से लाल आतंक के साये में जी रहा था। डीजीपी ने न केवल नक्सली गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगने की बात कही, बल्कि यह भी बताया कि इस सफलता से अपराध के ग्राफ में भी उल्लेखनीय कमी आई है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
Bihar Naxalism: ऐसे मिटाया गया लाल आतंक का निशान
यह उपलब्धि बिहार पुलिस और सुरक्षा बलों के अथक प्रयासों का परिणाम है। रणनीतिक अभियानों, खुफिया जानकारी के सटीक उपयोग और स्थानीय समुदायों के सहयोग ने नक्सलवाद की कमर तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्षों से, सुरक्षा बल दुर्गम इलाकों में नक्सलियों के खिलाफ डटे रहे, जिसके फलस्वरूप उनके गढ़ ध्वस्त हुए और उनकी गतिविधियों पर लगाम लगी।
डीजीपी का दावा: अपराध में भी आई कमी
पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने जोर देकर कहा कि नक्सलवाद पर नियंत्रण के साथ ही राज्य में अपराध के आंकड़ों में भी गिरावट दर्ज की गई है। उनका मानना है कि जब राज्य में शांति और व्यवस्था का माहौल बनता है, तो आपराधिक तत्व भी कमजोर पड़ते हैं। यह दावा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल नक्सलवाद की समाप्ति का संकेत देता है, बल्कि एक सुरक्षित और स्थिर बिहार की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
अधिकारियों ने बताया कि नक्सली संगठनों के शीर्ष कमांडरों को या तो गिरफ्तार किया गया है या उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया है। इसके अलावा, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत सहायता प्रदान की गई है, जिससे वे समाज में सम्मानजनक जीवन जी सकें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई
बिहार में नक्सलवाद कभी एक बड़ी चुनौती था, खासकर राज्य के दक्षिणी और मध्य हिस्सों में। लेकिन, पिछले कुछ सालों में पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के संयुक्त अभियानों ने इस समस्या को जड़ से उखाड़ने में सफलता हासिल की है। इस सफलता का श्रेय न केवल सैन्य अभियानों को जाता है, बल्कि राज्य सरकार की विकास योजनाओं को भी, जिन्होंने उन क्षेत्रों में विकास पहुँचाया जहां नक्सलवाद पनपता था। वंचितों को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करने से, युवाओं का नक्सली विचारधारा की ओर झुकाव कम हुआ है। यह एक सामूहिक प्रयास है जिसने बिहार को इस चुनौती से मुक्ति दिलाई है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




