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20 अप्रैल, 2024
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ज्ञान, शांति और पर्यावरण की भूमि बिहार…गणतंत्र दिवस परेड में ‘स्वर्णिम भारत’ का प्रदर्शन

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पटना। नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी को ‘स्वर्णिम भारत: विरासत एवं विकास’ थीम के तहत प्रदर्शित किया जाएगा। इस झांकी में बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक, ज्ञान और शांति की परंपरा को दर्शाया गया है। झांकी का मुख्य आकर्षण भगवान बुद्ध की भव्य मूर्ति और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष हैं।


भगवान बुद्ध और घोड़ा कटोरा झील का इको-टूरिज्म

  • झांकी में राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा जलाशय में स्थापित भगवान बुद्ध की 70 फीट ऊंची अलौकिक मूर्ति को प्रमुखता दी गई है।
  • यह मूर्ति वर्ष 2018 में एक ही पत्थर से निर्मित की गई थी और इको-टूरिज्म के क्षेत्र में बिहार सरकार के प्रयास का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • यह स्थल हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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नालंदा विश्वविद्यालय: प्राचीन और आधुनिक

  • झांकी में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष शामिल किए गए हैं, जो प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा के प्रतीक हैं।
  • प्राचीन समय में नालंदा में चीन, जापान और मध्य एशिया से विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करने आते थे।
  • बिहार सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय का पुनः गौरव स्थापित करने और इसे वैश्विक शिक्षा केंद्र के रूप में पुनर्जीवित करने के प्रयास किए हैं।
  • राजगीर में अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है, जिसे कार्बन न्यूट्रल और नेट जीरो कैंपस के रूप में विकसित किया गया है।
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मंत्री महेश्वर हजारी का वक्तव्य

  • सूचना भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मंत्री महेश्वर हजारी ने कहा कि झांकी में बिहार की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने की कोशिश की गई है।
  • भगवान बुद्ध की मूर्ति, नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष और घोड़ा कटोरा झील को इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास झांकी में शामिल हैं।

बिहार की धरोहर और विकास के प्रयास

  • बिहार सरकार प्राचीन धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए लगातार प्रयासरत है।
  • यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल नालंदा के भग्नावशेषों का संरक्षण और उनके क्षेत्र का समेकित विकास किया जा रहा है।
  • पर्यटन और शिक्षा के माध्यम से बिहार को वैश्विक पहचान दिलाने का प्रयास जारी है।
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झांकी का संदेश

गणतंत्र दिवस परेड में बिहार की झांकी:

  • ज्ञान, शांति और मोक्ष की भूमि के रूप में बिहार की छवि प्रस्तुत करेगी।
  • प्राचीन विरासत और आधुनिक विकास के बीच संतुलन दिखाएगी।
  • पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सरकार के प्रयासों को उजागर करेगी।

यह झांकी बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि और विकास के साथ उसकी वैश्विक पहचान को मजबूत करने का प्रतीक बनेगी।

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