Bihar Panchayat Chunav 2026 | पटना न्यूज़: बिहार के सियासी गलियारों में 2026 के पंचायत चुनाव से पहले एक बड़ा भूचाल आ गया है। मुखिया, सरपंच, और वार्ड सदस्य बनने का सपना देख रहे हज़ारों नेताओं की नींद उड़ गई है, क्योंकि सरकार आरक्षण का पूरा खेल ही बदलने जा रही है। जो सीट आज आपकी है, कल शायद न रहे!
बिहार में होने वाले अगले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की बिसात अभी से बिछने लगी है। राज्य सरकार ने पंचायती राज अधिनियम के तहत एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे आरक्षण का पूरा चक्र बदल जाएगा। इस बड़े फेरबदल के बाद कई मौजूदा जनप्रतिनिधियों को अपनी सीट गंवानी पड़ सकती है, तो वहीं कई नए चेहरों के लिए रास्ते खुल सकते हैं।
आरक्षण का पूरा गणित बदला
आगामी 2026 के पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की व्यवस्था पूरी तरह से नई होगी। सरकार के इस कदम से पिछले दो चुनावों से चली आ रही व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। इसका मतलब है कि जो सीटें 2016 और 2021 के पंचायत चुनावों में आरक्षित थीं, वे अब सामान्य (अनारक्षित) श्रेणी में आ जाएंगी।
इस ऐतिहासिक बदलाव के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- पुरानी व्यवस्था खत्म: 2016 और 2021 में जिन सीटों को अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) या महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया था, वे अब आरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी।
- नई सीटों पर आरक्षण: जो सीटें पिछले चुनावों में सामान्य थीं, उनमें से कई सीटों को नए नियमों के तहत विभिन्न श्रेणियों के लिए आरक्षित किया जाएगा।
- पूरे राज्य में लागू: यह बदलाव किसी एक जिले या प्रखंड तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे बिहार में त्रि-स्तरीय पंचायत व्यवस्था के सभी पदों पर लागू होगा।
2011 की जनगणना बनेगी आधार
पंचायती राज विभाग इस नए आरक्षण रोस्टर को तैयार करने के लिए 2011 की जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल करेगा। इसी जनगणना के आधार पर यह तय किया जाएगा कि किस पंचायत, प्रखंड या जिले में किस जातिगत समूह की कितनी आबादी है और उसी अनुपात में सीटों को आरक्षित किया जाएगा। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि आरक्षण का लाभ सही और आनुपातिक तरीके से सभी वर्गों तक पहुंचे।
नेताओं और उम्मीदवारों की बढ़ी बेचैनी
सरकार के इस फैसले ने स्थानीय स्तर पर राजनीति करने वाले नेताओं की बेचैनी बढ़ा दी है। जो जनप्रतिनिधि पिछले 10 सालों से किसी आरक्षित सीट पर चुनाव लड़कर जीतते आ रहे थे, उन्हें अब एक नई और सामान्य सीट की तलाश करनी होगी। इसी तरह, जो लोग सामान्य सीट पर अपनी पकड़ बनाए हुए थे, उन्हें भी यह डर सता रहा है कि कहीं उनकी सीट आरक्षित न हो जाए। इस फेरबदल से 2026 का पंचायत चुनाव बेहद दिलचस्प और अप्रत्याशित होने की उम्मीद है, जहाँ सभी उम्मीदवारों को अपनी रणनीति नए सिरे से बनानी होगी।






