Bihar Teacher Scam: बिहार में शिक्षा का मंदिर आज सवालों के घेरे में है, जहां भविष्य के निर्माता कहे जाने वाले शिक्षकों की नियुक्तियों पर ही संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। एक ताज़ा रिपोर्ट ने प्रशासनिक व्यवस्था और शिक्षा तंत्र दोनों को झकझोर कर रख दिया है, जिसमें वर्षों से चल रही शिक्षक बहाली प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
Bihar Teacher Scam: आखिर कैसे हुआ यह ‘घोटाला’?
निगरानी विभाग की हालिया रिपोर्ट ने बिहार के नियोजित शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का पर्दाफाश किया है। उच्च न्यायालय के निर्देश पर वर्ष 2006 से 2015 के बीच नियुक्त किए गए शिक्षकों की शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक डिग्रियों की जांच की गई, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस जांच के दायरे में लाखों शिक्षक आए हैं और जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे राज्य के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की गहराइयों को दर्शाते हैं। यह सिर्फ कागजी अनियमितताओं का मामला नहीं है, बल्कि इसने बिहार की पूरी शिक्षक बहाली व्यवस्था पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। रिपोर्ट के अनुसार, हजारों शिक्षकों की डिग्रियां फर्जी पाई गई हैं या फिर उन्हें गलत तरीके से बहाल किया गया है। यह स्थिति उन लाखों योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है, जो कड़ी मेहनत के बाद भी नौकरी पाने से वंचित रह गए।
निगरानी रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे
निगरानी विभाग की जांच में सामने आया है कि बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी स्कूलों में पदभार ग्रहण कर लिया। इसके अलावा, ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहाँ शिक्षकों ने अपनी डिग्रियों को छुपाया या गलत जानकारी प्रस्तुत की। यह घोटाला केवल नियुक्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने शिक्षा की गुणवत्ता पर भी गहरा असर डाला है। अयोग्य शिक्षकों के हाथ में छात्रों का भविष्य सौंपना एक गंभीर चुनौती है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। सरकार को अब इस मामले में त्वरित और कठोर कार्रवाई करनी होगी ताकि भविष्य में ऐसी नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और योग्य उम्मीदवारों को उनका हक मिल सके।



