Vehicle Tracking Device: बिहार की सड़कों पर सरपट दौड़ते वाहनों की सुरक्षा, निगरानी और जवाबदेही पर एक गहरा प्रश्नचिह्न लगा है। राज्य में नेशनल परमिट पर चल रहे हजारों वाहनों में से इक्का-दुक्का को छोड़ दें, तो अधिकांश तकनीक की कसौटी पर फेल साबित हो रहे हैं, जो एक बड़े खतरे का संकेत है।
बिहार में Vehicle Tracking Device का सन्नाटा: 48 हजार गाड़ियों में से सिर्फ 1100 में VLTD!
कमजोर पड़ रही Vehicle Tracking Device की अनिवार्यता!
राज्य परिवहन विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, जो यह दर्शाते हैं कि सड़क सुरक्षा को लेकर सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं। नेशनल परमिट के तहत पंजीकृत 48 हजार से अधिक व्यावसायिक वाहनों में से मात्र दो प्रतिशत यानी लगभग 1100 वाहनों में ही वाहन लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) स्थापित है। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि सड़कों पर दौड़ रहे अधिकांश व्यावसायिक वाहन सरकारी निगरानी प्रणाली से लगभग बाहर हैं, जिससे न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि आपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिल सकता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह गंभीर लापरवाही सड़क सुरक्षा के मानकों को लगातार कमजोर कर रही है।
सरकार ने नेशनल परमिट वाले वाहनों के लिए VLTD को अनिवार्य किया है ताकि उनकी गति, मार्ग और ठहराव पर नजर रखी जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य दुर्घटनाओं को कम करना, चोरी पर अंकुश लगाना और यात्रियों व माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। लेकिन, जमीनी हकीकत इन नियमों की धज्जियां उड़ाती नजर आ रही है।
वाहन निगरानी में भारी चूक और उसके परिणाम
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि VLTD लगाने के लिए लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं और वाहनों मालिकों को इसके फायदे बताए जा रहे हैं। हालांकि, इन प्रयासों का असर फिलहाल न्यूनतम दिख रहा है। यह उदासीनता न केवल सरकार के लिए चुनौती है, बल्कि आम जनता के लिए भी खतरा बनी हुई है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/ इस स्थिति में सुधार लाना अति आवश्यक है ताकि राज्य में परिवहन व्यवस्था को और अधिक सुरक्षित एवं पारदर्शी बनाया जा सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1, जो आपको हर पल की खबर से अपडेट रखता है। इस तकनीकी खामी को दूर करना और VLTD की अनिवार्यता को सख्ती से लागू करना अब समय की मांग है। अन्यथा, बिहार की सड़कों पर वाणिज्यिक वाहनों से जुड़े हादसों और अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण पाना एक बड़ी चुनौती बना रहेगा।




