मानसून सत्र के दौरान सदन में विपक्षी दलों के सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेते देख विपक्ष की अनुपस्थिति में भाजपा विधायक ने अपने ही सरकार को घेरा। बिहार विधान मंडल मानसून सत्र के चौथे दिन बुधवार को सदन की कार्यवाही में राजद सहित सभी विपक्षी दलों के सदस्य शामिल नहीं हुए।
विपक्ष ने मंगलवार को ही अग्निपथ योजना के विरोध में मानसून सत्र का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया था। साथ ही विधानमंडल में कर्पूरी ठाकुर की प्रतिमा के समक्ष धरना देने की बात कही थी। इसके बाद क्या हुआ, पढ़िए पूरी खबर
जानकारी के अनुसार, बुधवार सुबह से हो रही बारिश के कारण विपक्षी दलों ने विधानसभा भवन के अंदर धरना दिया। विपक्षी दलों के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के चेम्बर के बाहर धरना पर बैठ गये। विपक्षी सदस्यों ने सेना भर्ती की अग्निपथ योजना के खिलाफ विरोध जताते हुए केंद्र और राज्य की एनडीए सरकारों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। सभी अपने हाथों में साइन बोर्ड लेकर ‘तानाशाह से नाता तोड़ो, नीतीश कुमार चुप्पी छोड़ो’, ‘अग्निपथ योजना वापस लो’ के नारे लगाए।
संसदीय कार्यमंत्री विजय चौधरी ने कहा कि विपक्ष के न होने से सरकार भी अधूरी लग रही और सदन में खालीपन का एहसास हो रहा है। उन्होंने विपक्ष से सदन में आने का अनुरोध किया। वहीं, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने भी विपक्ष से सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की अपील की। आरजेडी, कांग्रेस, वाम दल समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता सदन में अग्निपथ योजना पर चर्चा की मांग कर रहे हैं।
माले विधायक मनोज मंजिल ने कहा
कि सरकार युवाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है। जब तक सदन में हमारी बातों को नहीं सुना जाएगा और इसपर चर्चा नहीं होगी हम प्रदर्शन करते रहेंगे।अग्निपथ के नाम पर केन्द्र सरकार देश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। अग्निपथ से ऐसी नौकरी मिलेगी जिसमें शादी के समय लड़का सेवानिवृत हो जाएगा। उनका भविष्य बर्बाद हो जाएगा। मोदी सरकार देश के जवान, किसान सभी का भविष्य बर्बाद कर रही है। इसलिए इस योजना को वापस लेने की मांग और सदन चलाने के तानाशाही रवैये के खिलाफ विपक्ष के सदस्य विरोध जता रहे हैं।
इधर, संसदीय मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि जब तक विपक्ष के सदस्य सदन में नहीं होते तब तक सत्ता पक्ष को भी एक अधूरापन सा लगता है। संसदीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष के सदस्य से आग्रह है कि सदन में आए।
जानकारी के अनुसार, मंगलवार को सदन से विपक्ष के बहिष्कार के साथ सत्ता पक्ष के घटक दलों की गैरमौजूदगी के कारण विधानसभा की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा था। जदयू ने स्पीकर विजय कुमार सिन्हा की फजीहत करा दी थी। इसको लेकर काफी देर तक सियासी माहौल भी गरम रहा था।
वहीं, चौथे दिन बुधवार को सदन की कार्यवाही में विपक्ष शामिल नहीं हुआ। विपक्ष की अनुपस्थिति में भाजपा विधायक ने ही सरकार को सवालों के घेरे में घेरा।
सत्ता दल में शामिल भाजपा विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने सदन में शौचालय निर्माण का मुद्दा उठाया। उन्होंने पूछा कि एक सर्वे में पाया गया है कि बिहार के 62 फीसदी घरों में ही शौचालय है। 38 फीसदी घरों में शौचालय नहीं है। इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार है। इस सर्वे रिपाेर्ट से बिहार की बदनामी हुई है। बिहार की नाक कट गयी है। आखिर सरकार क्या कर रही है।
भाजपा विधायक के इस सवाल का जवाब ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने देते हुए सदन को बताया कि सरकार बिहार के शत प्रतिशत घरों में शौचालय हो इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है। जांच करवायी गयी है। जांच में चालीस हजार शौचालय निर्माण में गड़बड़ी पकड़ी गई है। शौचालय के बिना अब कोई न रहे इस पर सरकार काम कर रही है। नौ हजार सार्वजनिक शौचालय बनवाये गए हैं। अधिकांश अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों में शौचालय की कमी है। 77 फीसदी घरों में शौचालय है। हमारी कोशिश है कि सभी के घरों में शौचालय हो।
भाजपा विधायक के सवालों में से एक वाक्य का विरोध करते हुए कि बिहार की नाक कट गयी पर जदयू विधायक रत्नेश सदा ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि आखिर भाजपा भी तो सरकार में है। भाजपा विधायक गलत बोल रहे हैं। इस पर अध्यक्ष ने एतराज जताया और कहा कि इसका कोई मतलब नहीं है।
इसके बाद उन्होंने जदयू विधायकों को कहा आप बैठिए…दूसरा कोई पूरक हो तो पूछें। बैठने से पहले जदयू विधायक रत्नेश सदा ने शौचालय बनाने की राशि में बढ़ोतरी की मांग की। विधायक ने कहा कि शौचालय बनाने की राशि को बढ़ाई जाये। 12 हजार रुपये में शौचालय नहीं बन पा रहा है।
भाजपा विधायक ने उठाया दो तालाबों के जीर्णोद्धार का सवाल
भाजपा के झंझारपुर विधायक नीतीश मिश्रा ने सरकार से पूछा कि सहरसा के मत्स्यगंधा तालाब की तरह झंझारपुर में दो तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण हो। इस पर लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री संतोष कुमार सुमन ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सहरसा और झंझारपुर के तालाब में अंतर है।
आप जिस तालाब की बात कर रहे हैं उसके 70 फीसदी भाग में पानी है। तीस फीसदी हिस्सा सूखा है। जिस वजह से काम करने में दिक्कत है। फिर भी हम टीम भेजकर जांच करायेंगे। इस पर नीतीश मिश्रा ने कहा कि मंत्री का कहना सही लेकिन तालाब के बाहरी स्थानों का तो सौंदर्यीकरण किया जा सकता है।