पटना के राजीव नगर और नेपाली नगर में भारी बवाल हुआ है। अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई को लेकर जमकर हंगामा हुआ। स्थानीय लोगों ने सिलेंडर में आग लगा दी। इससे जेसीबी बुलडोजर को पीछे हटाना पड़ा। मौके पर करीब दो हजार पुलिसवाले तैनात हैं।
बुलडोजर एक्शन के दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस टीम पर पथराव भी किया। पत्थर लगने से पटना के सिटी एसपी अम्बरीश राहुल का माथा फट गया। उनके चेहरे पर भी चोट लगी है। इलाज के लिए उन्हें पारस अस्पताल ले जाया गया। पत्थरबाजी में महिला पुलिसकर्मी प्रिया कुमारी चौधरी भी घायल हुईं हैं।
राजीव नगर के 10 24 एकड़ में रह रहे लोगों को जिला प्रशासन की ओर से 70 घरों को तोड़ने का नोटिस भेजा गया था। साथ ही 20 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की बात कही गई थी। यह नोटिस सीओ ने जारी किया था जिसके बाद राजीव नगर के लोगों में काफी आक्रोश है।
नोटिस मिलने के बाद 23 मई को दीघा कृषि भूमि आवास बचाओ संघर्ष समिति के सैकड़ों सदस्य अंचलाधिकारी पटना द्वारा निर्गत नोटिस का जवाब देने उनके कार्यालय में पहुंचें थे, जहां समिति के अध्यक्ष श्रीनाथ सिंह ने सीओ को अपना पक्ष प्रस्तुत किया था। जिसे पढ़ने के बाद अंचलाधिकारी ने ने इस मामले में सात जून तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने का आश्वासन दिया था। पढ़िए पूरी खबर
पटना में बुलडोजर एक्शन हिंसक झड़प में तब्दील हो गई। नेपाली नगर और राजीव नगर में जेसीबी के जरिए कई घर तोड़े जा रहे हैं। पुलिस और लोगों के बीच आमने-सामने का मुकाबला हुआ। लोगों ने पुलिसवालों पर पथराव शुरू कर दी। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले बरसाने शुरू कर दिए। इस बवाल में पटना सिटी एसपी समेत कई पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग घायल हुए हैं।
राजीव नगर के 1024.52 एकड़ में रहने वाले लोगों ने आवास बोर्ड व जिला प्रशासन के विरोध में 24 मई मंगलवार की शाम में थाली, शंख बजाकर आक्रोश जताया था। जिसमें पुरुष, महिलाएं व बच्चों ने घर की छतों व गलियों में निकलकर आधे घंटे तक थाली बजाकर विरोध जताया था। 27 मई को नेपाली नगर के मनसापुरण हनुमान मंदिर परिसर से काली पट्टी लगाकर मौन जुलूस निकाला गया था।
राजीव नगर आवास बोर्ड मामले में लोगों को आवास से हटाने के लिए दिए गए नोटिस के विरोध में 26 जून को गुस्साए लोग डिप्टी सीएम तार किशोर प्रसाद के सरकारी बंगले पांच देश रत्न मार्ग पहुंच कर धरने पर बैठ गए। 300 से ज्यादा लोग सुबह 9 से पहले ही डिप्टी सीएम के आवास के बाहर पहुंच गए थे।
स्थानीय लोगों की नाराजगी की वजह ये है कि जब मकानों को बनाया और इलाके को बसाया जा रहा था तब इलाके के सीओ और सरकारी कर्मचारी सोए हुए थे, जब मकान बन गए तो उन्हें हटाने के लिए प्रशासन की ओर बुलडोजर चलवाया जा रहा है।रविवार सुबह डेढ़ दर्जन जेसीबी मशीन के साथ प्रशासन की टीम राजीव नगर पहुंची थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि 1974 में प्रशासन की ओर से इस जमीन को अधिग्रहित करने का आदेश दिया गया था।
तत्कालीन सरकार ने गजट जारी कर ये जमीन हाउसिंग बोर्ड को दे दी थी। उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी। इस जमीन के लिए किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला। स्थानीय लोगों और किसानों का सवाल है कि जब जमीन का पैसा नहीं मिला तो जमीन सरकार की कैसे हुई।