पटना | बिहार विधानसभा के सत्र में बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव के बीच मज़ाकिया माहौल देखने को मिला। इशारों-इशारों में हुई इस हल्की-फुल्की बातचीत से सदन का माहौल हंसी-ठहाकों से भर गया।
मुख्यमंत्री नीतीश ने तेजस्वी से पूछा – दाढ़ी क्यों नहीं बनाते हो?
सदन में प्रश्नकाल के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए अपने गाल पर हाथ फेरा और हंसते हुए पूछा, “दाढ़ी क्यों नहीं बनाते हो?” मुख्यमंत्री का यह मज़ाकिया सवाल सुनकर तेजस्वी हंस पड़े और सदन के अन्य सदस्य भी मुस्कुराने लगे।
विजय चौधरी का चश्मा छुपाया, फिर हंसी-ठहाके
इसके बाद मुख्यमंत्री ने जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी का चश्मा अपने ड्रॉवर में छुपा दिया। फिर विजय चौधरी और मुख्यमंत्री एक-दूसरे को देखते हुए हंसने लगे। मुख्यमंत्री चाहते थे कि विजय चौधरी बिना चश्मे के ही किसी सवाल का जवाब दें।
इसके बाद नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव की ओर देखा और अपनी नाक पकड़कर इशारा किया, “क्या हुआ जी, जो बार-बार नाक पकड़ रहे हो?” तेजस्वी ने इशारों में ही जवाब दिया, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुछ और बोले, जिसके बाद दोनों ठहाके लगाने लगे।
इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश के बगल में बैठे विजय चौधरी भी दोनों की इशारों वाली बातचीत देखकर मुस्कुराते रहे।
विधानसभा अध्यक्ष ने तेजस्वी पर किया विनोदपूर्ण तंज
विधानसभा में स्पीकर नंद किशोर यादव और तेजस्वी यादव के बीच भी मज़ाकिया अंदाज देखने को मिला।
हाजीपुर में सड़क निर्माण को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन के बीच बहस हुई। तेजस्वी ने कहा कि महागठबंधन सरकार में इस सड़क का प्रस्ताव पास हुआ था, लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ। इस पर मंत्री नितिन नवीन ने जवाब दिया कि “10% काम हो चुका है।” तेजस्वी ने इस पर असंतोष जताया।
इस पर विनोदपूर्ण अंदाज में स्पीकर नंद किशोर यादव ने तेजस्वी से कहा,
“बढ़िया है, पटना में रहता है। वहां रहता तो लड़ लेता।”
इस पर तेजस्वी भी हंसने लगे। उन्होंने फिर खड़े होकर जवाब दिया,
“हाजीपुर में सड़क रहेगी, तब न वहां के लोग यहां आएंगे!”
हंसी-ठहाकों से गूंज उठा सदन
इस पूरी बातचीत के दौरान सदन में मौजूद अन्य सदस्य भी ठहाके लगाते रहे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और स्पीकर नंद किशोर यादव के बीच हुए इस हल्के-फुल्के संवाद ने सदन के माहौल को कुछ देर के लिए सहज और विनोदपूर्ण बना दिया।