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दिसम्बर, 13, 2025

शिक्षा में नया अध्याय: शासी निकाय में अब सेवानिवृत्त प्राध्यापक, जानें Bihar Education News का पूरा मामला

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Bihar Education News: अक्सर बदलाव की बयार वहां से चलती है, जहां सालों से जड़ता का डेरा हो। बिहार के शैक्षणिक गलियारों में भी अब कुछ ऐसी ही हवा महसूस की जा रही है, जो शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने का संकेत दे रही है।

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शिक्षा में नया अध्याय: शासी निकाय में अब सेवानिवृत्त प्राध्यापक, जानें Bihar Education News का पूरा मामला

राज्यपाल के निर्देश: शिक्षा क्षेत्र में बड़ा बदलाव और Bihar Education News का प्रभाव

बिहार के शैक्षणिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव की आहट सुनाई दे रही है। राज्यपाल के प्रधान सचिव आरएल चोंग्थू द्वारा 4 दिसंबर को जारी एक निर्देश ने शासी निकायों (Governing Bodies) में शिक्षाविदों की भूमिका को लेकर नई बहस छेड़ दी है। इस निर्देश के अनुसार, अब विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों के शासी निकायों में सेवानिवृत्त प्राध्यापकों या प्रधानाचार्यों को शिक्षाविद सदस्य के तौर पर नामित किया जाएगा। यह कदम बिहार की उच्च शिक्षा व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, अनुभवी और गुणवत्तापूर्ण बनाने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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दरअसल, लंबे समय से ऐसे निकायों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं, जहां शैक्षणिक अनुभव की कमी के कारण सही निर्णय नहीं लिए जा पाते थे। अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शासी निकायों में ऐसे लोग शामिल हों, जिनके पास शिक्षा के क्षेत्र में दशकों का अनुभव हो, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इससे न केवल अकादमिक मामलों में बेहतर सलाह मिल सकेगी, बल्कि संस्थानों के समग्र विकास में भी मदद मिलेगी। इस पहल से शैक्षणिक परिषद की कार्यप्रणाली में भी सुधार की उम्मीद है, जिससे छात्रों और शिक्षकों दोनों को लाभ मिलेगा।

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राज्य सरकार और राजभवन का यह साझा प्रयास शिक्षा के गिरते स्तर को ऊपर उठाने और विश्वविद्यालयों को शोध तथा नवाचार का केंद्र बनाने की दिशा में उठाया गया एक सराहनीय कदम है। ऐसे अनुभवी सदस्यों की उपस्थिति से पाठ्यक्रम निर्धारण, परीक्षा प्रणाली में सुधार और छात्रों के भविष्य को लेकर बेहतर नीतियां बनाने में सहूलियत होगी।

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शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद

यह निर्णय सिर्फ दरभंगा या बिहार के किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था पर पड़ेगा। सेवानिवृत्त प्राध्यापकों और प्रधानाचार्यों का अनुभव न केवल नीति निर्माण में महत्वपूर्ण होगा, बल्कि वे युवा पीढ़ी के मार्गदर्शक के रूप में भी कार्य कर सकेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा का हर स्तर पर सही मार्गदर्शन हो। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

इस फैसले से उन संस्थानों को विशेष लाभ होगा, जहां प्रशासनिक अनुभव के साथ-साथ शैक्षणिक विशेषज्ञता की भी आवश्यकता होती है। यह पहल बिहार की शिक्षा नीति को एक नई दिशा देगी और इसे राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने में सहायता प्रदान करेगी। भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे, जिससे बिहार की पहचान एक शिक्षा के केंद्र के रूप में और मजबूत होगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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