Bihar Corruption News: पटना में ED का बड़ा एक्शन, पूर्व जेल DIG की करोड़ों की काली कमाई जब्त, दो आलीशान फ्लैट भी सील
Bihar Corruption News: कानून के लंबे हाथ जब सरकारी तंत्र के गिरेबान तक पहुंचते हैं, तो भ्रष्टाचार की काली तिजोरियों के ताले एक-एक कर टूटने लगते हैं। बिहार में एक बार फिर ऐसा ही हुआ है, जहाँ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक पूर्व बड़े अधिकारी की काली कमाई का पूरा साम्राज्य हिलाकर रख दिया है। राजधानी पटना में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए, ईडी ने पूर्व जेल डीआईजी शिवेंद्र प्रियदर्शी की 1.52 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध संपत्ति जब्त कर ली है।
Bihar Corruption News: जानिए क्या-क्या हुआ जब्त
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की है। जब्त की गई संपत्तियों का जाल काफी लंबा है, जिसमें पटना स्थित दो आलीशान फ्लैट से लेकर बैंक खातों में जमा मोटी रकम तक शामिल है। ईडी ने जिन संपत्तियों को जब्त किया है, उनमें शामिल हैं:
- पटना में स्थित दो शानदार फ्लैट
- बैंक खातों में जमा धनराशि
- सोने-चांदी के कीमती ज़ेवरात
- फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), किसान विकास पत्र (KVP) और राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC) में किया गया निवेश
- कई अन्य संदिग्ध निवेश और पॉलिसी
जांच एजेंसी के अनुसार, इन सभी परिसंपत्तियों की कुल कीमत ₹1,52,47,491 आंकी गई है। यह पूरी संपत्ति भ्रष्ट तरीकों से कमाई गई थी, जिसे छिपाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए गए। यह पूरी ईडी की कार्रवाई बिहार के अफसरशाही में फैले भ्रष्टाचार की एक और परत खोलती है।
कैसे हुआ इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश?
इस पूरे भ्रष्टाचार के मामले की नींव मई 2017 में रखी गई थी, जब बिहार की विशेष निगरानी इकाई (SVU) ने शिवेंद्र प्रियदर्शी के खिलाफ एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी। उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत गंभीर आरोप लगाए गए थे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इसी एफआईआर को आधार बनाकर प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच शुरू की और धीरे-धीरे इस मामले की सभी परतें खुलती चली गईं। बिहार की लगातार ख़बरें यहां पढ़ें।
नौकरी के दौरान बिछाया था भ्रष्टाचार का जाल
ईडी की विस्तृत तहकीकात में यह बात सामने आई कि शिवेंद्र प्रियदर्शी ने अपनी नौकरी के दौरान एक लंबा और गहरा भ्रष्टाचार का नेटवर्क तैयार कर लिया था। साल 1993 से 2017 के बीच सासाराम, बेनीपुर, गोपालगंज, सीवान और पटना जैसे महत्वपूर्ण जिलों में तैनाती के दौरान उन्होंने जमकर काली कमाई की। जांच में पता चला कि इस अवैध धन को सफेद करने के लिए एक पूरी साज़िश रची गई थी।
आरोपी अधिकारी ने अवैध रूप से कमाए गए पैसे को सीधे अपने और अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में जमा कराया। यही नहीं, कुछ रकम को रिश्तेदारों के जरिए ठिकाने लगाया गया और करोड़ों रुपये को उपहार के रूप में दिखाकर उसे कानूनी जामा पहनाने की कोशिश की गई। इस काली कमाई का इस्तेमाल फ्लैट खरीदने, एफडी, केवीपी, एनएससी और म्यूचुअल फंड जैसे निवेश साधनों में किया गया। फिलहाल ईडी की जांच जारी है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस प्रकरण में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


