बिहार से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर आ रही है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट सत्र के दौरान बिहार विधानमंडल में 23 मार्च को सदन में जो हंगामा हुआ था उसको लेकर आचार समिति की रिपोर्ट आ गई है। विधानसभा की आचार समिति ने विधायकों के आचरण को लेकर अपनी जांच रिपोर्ट विधानसभा को दे दी है। इस रिपोर्ट में 12 विधायक दोषी पाए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद उनके ऊपर कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है।
इससे पहले, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने निर्णय लिया है कि विधानसभा की आचार समिति इसकी समीक्षा करेगी। विधायकों के व्यवहार की समीक्षा और दोषियों पर कार्रवाई के लिए उक्त घटना का वीडियो फुटेज आचार समिति को सौंपी जाएगी।

अध्यक्ष ने इस संबंध में कहा था कि सदन की गरिमा का ख्याल रखने की जवाबदेही सभी की है। लक्ष्मण रेखा पार करने की छूट किसी को भी नहीं दी जा सकती है।
जानकारी के अनुसार, विधानसभा में बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 को पेश नहीं करने को लेकर विपक्षी विधायकों ने जोरदार हंगामा किया था। अध्यक्ष को उनके कक्ष से बाहर नहीं निकलने दे रहे थे विधायक। इसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पहली बार सदन में पुलिस को बुलाना पड़ा। इसके बाद विधानसभा के मार्शल और पुलिस कर्मियों ने मिलकर विधायकों को सदन से बाहर निकाला। इसके अगले दिन बुधवार को विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया था।
दोषी पुलिसकर्मियों को चिन्हित करें
विधानसभा अध्यक्ष ने डीजीपी एसके सिंघल और गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद से फोन पर बात कर विधायकों के साथ पुलिसकर्मियों के द्वारा दुर्व्यवहार के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
अध्यक्ष ने दोनों पदाधिकारियों को स्वत: संज्ञान लेते हुए दोषी पुलिसकर्मियों को चिह्नित करने का निर्देश दिया है। ताकि दोषी कर्मियों पर कार्रवाई की जा सके। इसके पहले गुरुवार को पटेल भवन में प्रेस कांफ्रेंस में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने विधानसभा में पुलिस बुलाने और विधायकों के साथ पुलिस की ओर से मारपीट के आरोपों पर पूछे गये सवाल पर कहा था कि कोई भी जांच विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर ही होगी। विधानसभा परिसर अध्यक्ष का क्षेत्राधिकार है।
अब, विधानसभा की आचार समिति सदस्य अरुण कुमार सिन्हा से जब इस बाबत बात हुई तो उन्होंने कहा कि 12 विधायकों पर कार्रवाई की अनुशंसा हुई है लेकिन उन्होंने नाम बताने से इनकार किया। भाजपा विधायक को फोन करने पर उनका मोबाइल लगातार स्विच ऑफ मिला।
पिछले वर्ष 23 मार्च, 2021 को बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भोजनावकाश के बाद सदन में विपक्षी विधायकों ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस अधिनियम-2021 को लेकर जमकर हंगामा किया था।
विपक्षी विधायकों ने विधेयक का न केवल विरोध किया, बल्कि किसी सूरत में उसे पारित न होने के संकल्प के साथ सदन को पूरी तरह बाधित किया था। उनके विरोध का आलम यह था कि सदन की कार्यवाही छह बार स्थगित करनी पड़ी। उग्र विधायकों को सदन से बाहर करने के लिए पुलिस को बुलाया गया था। उन्होंने जबरन विधायकों को बाहर निकाला। विपक्षी विधायकों ने आरोप लगा था कि उनके साथ मारपीट हुई है।
बाद में जांच के आधार पर सिपाही शेषनाथ व सिपाही रंजीत को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने पूरे मामले की जांच की जिम्मेदारी विधानसभा की आचार समिति को सौंपी थी। सिन्हा ने पत्र लिखकर समिति को जांच करने को कहा था। रामनारायण मंडल आचार समिति के सभापति हैं, जबकि इसमें अरुण कुमार सिन्हा, रामविशुन सिंह, ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू और अचमित ऋषिदेव सदस्य हैं। अब इसकी जांच रिपोर्ट सामने आ गई है।
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