

पटना —सदियों पुराना, अनगिनत साम्राज्यों का साक्षी और राजनीतिक-धार्मिक उथल-पुथल का केंद्र। मेरे इतिहास ने मौर्यों से लेकर मुगलों, अंग्रेजों और आज़ाद भारत की सरकारों तक सबको बदलते देखा है। और अब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव ने फिर से मेरे राजनीतिक कैनवास पर नया रंग भर दिया है।
भारत के सबसे पुराने निरंतर बसे शहरों में से एक पटना—अपने भीतर साम्राज्यों, संस्कृति, धर्म, और राजनीति की बेहद गहरी परंपरा समेटे हुए है। पाटलिपुत्र से पटना तक की यह यात्रा सिर्फ समय का नहीं, बल्कि सभ्यता के विकास का दस्तावेज़ है।
प्राचीन पटना: पाटलिपुत्र की नींव और विस्तार
पटना का इतिहास 490 ईसा पूर्व से शुरू होता है, जब हर्यंक वंश के राजा अजातशत्रु ने गंगा किनारे एक छोटे किले की स्थापना की। बाद में उदयन ने इसे गंगा और सोन के संगम पर बसाया और यह मगध साम्राज्य की राजधानी बना।
मौर्यकाल का स्वर्ण युग
इस धरती ने विश्व इतिहास के सबसे उल्लेखनीय व्यक्तित्वों को जन्म दिया—
• चंद्रगुप्त मौर्य
• सम्राट अशोक
• आचार्य चाणक्य
• गणितज्ञ आर्यभट्ट
तीसरी सदी ईसा पूर्व तक पाटलिपुत्र दुनिया के सबसे बड़े शहरी केंद्रों में शामिल था।
मध्यकाल से औपनिवेशिक काल: सत्ता का बदलता केंद्र
• शेरशाह सूरी ने इस नगर को नए रूप में पुनर्जीवित किया
• औरंगज़ेब ने इसका नाम अजीमाबाद रखा
• 1770 में अंग्रेजों ने आधुनिक पटना जिला बनाया
स्वतंत्रता संग्राम में पटना
यह शहर स्वतंत्रता संघर्ष में भी अग्रणी रहा—
• पीर अली
• वीर कुंवर सिंह
• चंपारण सत्याग्रह
पटना सिर्फ इतिहास का पात्र नहीं रहा; यह इतिहास का निर्माता रहा है।
आधुनिक पटना: आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनूठा संगम
पटना की पहचान राजनीतिक जितनी है, उतनी ही आध्यात्मिक भी—
• तख़्त श्री हरमंदिर साहिब (गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मस्थान)
• कुम्हरार (मौर्यकालीन अवशेष)
• खुदा बख्श लाइब्रेरी
• गोलघर
यह विरासत पटना को वैश्विक स्तर पर अद्वितीय बनाती है।
आज का पटना: अवसर और चुनौतियों का शहर
पटना, अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ आज भी—
• राजनीतिक केंद्र
• शैक्षणिक हब
• सामाजिक गतिविधियों का केंद्र
बनकर उभरता है।
हालाँकि इसे बाढ़, भीड़भाड़, प्रदूषण, और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है।
2025 का चुनावी महासंग्राम

इतिहास से सजी इस भूमि ने फिर एक बार राजनीति का नया अध्याय देखा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का जनादेश उतना ही स्पष्ट, निर्णायक, और ऐतिहासिक है जितना इस भूमि का अतीत।
बिहार चुनाव 2025: परिणामों की पूरी तस्वीर
कुल सीटें — 243
बहुमत का आंकड़ा — 122
NDA की ऐतिहासिक, रिकॉर्डतोड़ जीत
• NDA — 202 सीटें
• महागठबंधन — 34 सीटें
• AIMIM — 5
• BSP — 1
NDA की अंदरूनी स्थिति
• BJP — 89
• JDU — 85
• LJP(R) — 19
• HAM — 5
महागठबंधन में—
• RJD — 25
• Congress — 6
लोजपा (रामविलास): चिराग पासवान की “हनुमान” भूमिका
इस चुनाव की सबसे चमकदार पार्टी LJP(R) रही।
• 29 में से 19 सीटें
• ~65% स्ट्राइक रेट
• 5%+ वोट शेयर
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिया गया “हनुमान” उपनाम इस चुनाव में पूरी तरह सार्थक साबित हुआ।
अलीनगर: 25 वर्षीय मैथिली ठाकुर की ऐतिहासिक जीत
लोकप्रिय लोकगायिका और BJP उम्मीदवार मैथिली ठाकुर ने—
• 84,915 वोट
• 11,730 वोट की जीत
• बिहार की सबसे कम उम्र की विधायक बनने का रिकॉर्ड बनाया
उनकी सादगी, लोकप्रियता और साफ छवि ने इस सीट को राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया।
दरभंगा में NDA का क्लीन स्वीप
दरभंगा की सभी 10 सीटों पर NDA की जीत—
यहां की राजनीतिक भावनाओं का स्पष्ट संकेत देती है।
• जीवेश कुमार (जाले) — लगातार तीसरी जीत
• संजय सरावगी (दरभंगा)
• मदन साहनी (बहादुरपुर)
• मुरारी मोहन झा (केवटी)
• मैथिली ठाकुर (अलीनगर)
दरभंगा इस चुनाव में NDA का सबसे मज़बूत किला बनकर उभरा।
प्रमुख सीटें — एक नज़र में
• सहरसा — इन्द्रजीत प्रसाद गुप्ता (IIP)
• राघोपुर — तेजस्वी यादव (RJD)
• बेगूसराय — कुंदन कुमार (BJP)
• कटिहार — तारकिशोर प्रसाद (BJP)
• पूर्णिया — विजय खेमका (BJP)
• बक्सर — आनंद मिश्रा (BJP)
• आरा — संजय सिंह “टाइगर” (BJP)
• समस्तीपुर — अश्वमेघ देवी (JDU)
वोटरों का संदेश: महिलाओं–युवाओं ने लिखा नया अध्याय
2025 के जनादेश में तीन बातें सबसे महत्वपूर्ण रहीं—
• महिलाओं का रिकॉर्ड मतदान (71.6%)
• युवाओं का निर्णायक झुकाव
• सामाजिक समीकरण में बड़ा बदलाव
NDA की महिला-युवा केंद्रित योजनाओं, मजबूत संगठन और नेतृत्व ने इसे ऐतिहासिक बढ़त दिलाई।
पाटलिपुत्र से पटना और फिर 2025: इतिहास आज भी राजनीति को दिशा दे रहा है
2500 वर्षों से यह शहर सत्ता के उत्थान-पतन, समाज के परिवर्तन और नेतृत्व के निर्णयों का केंद्र रहा है।
2025 का जनादेश भी उसी परंपरा का अगला अध्याय है।
बिहार ने इस चुनाव में—
• स्थिर नेतृत्व,
• विकासवादी राजनीति,
• और व्यापक सामाजिक भागीदारी
को स्पष्ट रूप से चुना है।
पटना वही है—सब कुछ देखता हुआ, सब कुछ समझता हुआ, और हर युग की तरह आज भी नया इतिहास लिख रहा है।







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