बिहार सरकार ने राज्य में बढ़ते अपराधों पर अंकुश लगाने और पुलिस जांच को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार ने राजगीर और पूर्णिया में नए क्षेत्रीय विधि-विज्ञान प्रयोगशालाएं (एफएसएल) शुरू करने का निर्णय लिया है। इन प्रयोगशालाओं में आधुनिक उपकरणों की खरीद के लिए गृह विभाग ने करीब 13.5 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
पहले चरण में नौ पुलिस रेंज में स्थायी विधि-विज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की प्रक्रिया
पुलिस मुख्यालय के अनुसार, पहले चरण में नौ पुलिस रेंज में स्थायी विधि-विज्ञान प्रयोगशाला की स्थापना की प्रक्रिया चल रही है। शेष 28 जिलों में चलंत विधि-विज्ञान इकाई की सुविधा शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है। इन लैब में तुलनात्मक माइक्रोस्कोप, बुलेट पुलर, हाट एयर अवर, डिजिटल वेइंग बैलेंस आदि जैसे आधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे। इन लैब में फिंगरप्रिंट, डीएनए, हथियार, दवाइयां आदि की जांच की जा सकेगी।
एक जुलाई से एफएसएल पुलिस जांच का अहम अंग
एफएसएल के लिए तुलनात्मक माइक्रोस्कोप, बुलेट पुलर, हाट एयर अवर, डिजिटल वेइंग बैलेंस, रेफि्रजेरेटर, यूवी लैंप, इंक्यूबेटर, लेबोरेटरी वर्किंग टेबल, फायरिंग बाक्स, पीएच मीटर आदि की खरीद की जायेगी। दरअसल, एक जुलाई से नये आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद एफएसएल पुलिस जांच का अहम अंग हो गया है।
अपराधियों को सजा दिलाने में आसानी होगी
सात साल से अधिक सजा वाले अपराध में एफएसएल जांच अनिवार्य कर दी गई है। पहले यह अनिवार्यता नहीं थी। ऐसे में एफएसएल जांच के लिए प्रदर्शों के सैंपल की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। अपराधियों में पुलिस की बढ़ती हुई क्षमता को देखकर दहशत पैदा होगी। वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर अपराधियों को सजा दिलाने में आसानी होगी, जिससे न्याय व्यवस्था मजबूत होगी।