बिहार में जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर सियासत और गर्मा गई है। लगातार इसके श्रेय को लेकर होड़ मची है। संसद में राहुल गांधी ने धमक के साथ कहा था यहीं जातीय जनगणना पास कराके दिखाएंगे।
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My letter to PM Sh. @narendramodi Ji.
The decision to conduct the caste census can be a transformative moment in our nation’s journey towards equality. The millions who have struggled for this census await not just data but dignity, not just enumeration but empowerment.… pic.twitter.com/t2uszNfjOH
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 3, 2025
तेजस्वी यादव बिहार में अलग भौकाल में हैं। उन्होंने तो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख दिया। अब, लिखे पत्र के जवाब में जेडीयू ने लालू यादव को सीधा निशाने पर लेते हुए पत्र लिखा है, जिसे पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने ‘गुनाहनामा’ की संज्ञा दी है।
दरअसल, जेडीयू ने तेजस्वी यादव के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित पत्र के जवाब में लालू यादव के नाम ‘गुनाहनामा’ खत लिखा है, जिसमें तेजस्वी के पत्र पर तीखा पलटवार किया गया है। जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता और सचेतक नीरज कुमार ने इस पत्र में लालू यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
“गुनाहनामा” बनाम “सामाजिक न्याय”
नीरज कुमार ने लालू यादव पर 6 गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि यह पत्र सिर्फ राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि राजद सरकार के शासनकाल के ऐतिहासिक अन्यायों का दस्तावेज है।
ये हैं नीरज कुमार के 6 प्रमुख आरोप:
कर्पूरी ठाकुर का अपमान:
लालू यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को गाड़ी देने से इनकार कर तेल नहीं होने का बहाना किया और सार्वजनिक रूप से उन्हें ताना मारा।अति पिछड़ा वर्ग की हकमारी:
1990 से 2005 तक के राजद शासन में 272 मंत्रियों में मात्र 18 अति पिछड़े समाज से बने। यानी महज़ 6.6% प्रतिनिधित्व।आरक्षण में उपेक्षा:
राजद शासन में पंचायतों में अति पिछड़ों को आरक्षण नहीं दिया गया। उस दौर में पिछड़ा और अति पिछड़ा कल्याण विभाग तक नहीं था।जातीय जनगणना को टालना:
लालू यादव ने किंगमेकर होने के बावजूद जातीय जनगणना का समर्थन नहीं किया, बल्कि चारा घोटाले में उलझकर जातीय आंकड़ों से दूरी बनाए रखी।महिलाओं के प्रति नजरिया:
लालू यादव पर महिलाओं और बेटियों का सम्मान न करने का आरोप लगाया गया। नीरज कुमार ने कहा – “राजनीति को चार्जशीटेड बेटे के हवाले कर दिया।”न्याय का ढोंग, अन्याय की राजनीति:
जेडीयू ने आरोप लगाया कि लालू यादव सिर्फ “सामाजिक न्याय” की बात करते हैं, लेकिन उनके कार्यकाल में वास्तविक न्याय की हत्या हुई।
तेजस्वी के पत्र से शुरू हुई चिट्ठी-पत्री की जंग
तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर जातीय आंकड़ों के आधार पर आरक्षण बढ़ाने की मांग की थी। इसके जवाब में जेडीयू ने लालू यादव को घेरते हुए सवाल किया कि जब मौका मिला, तब आपने क्या किया?
‘गुनाहनामा’ में क्या कहा गया?
नीरज कुमार ने इस पत्र को “गुनाहनामा” करार देते हुए इसे केवल राजनीतिक पत्र न मानकर ऐतिहासिक अन्यायों का दस्तावेज बताया। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि राजद सरकार के दौरान अति पिछड़ा वर्ग और ईबीसी के लोगों के साथ अत्याचार किए गए और राजनीतिक संहार हुआ। उन्होंने लालू यादव को “सामाजिक न्याय के स्वयंभू ध्वजवाहक” बताते हुए उनके शासन में अति पिछड़ा समाज की स्थिति को निराशाजनक बताया।
लालू यादव पर गंभीर आरोप, कर्पूरी ठाकुर का ताना
कर्पूरी ठाकुर का अपमान: नीरज कुमार ने आरोप लगाया कि लालू यादव ने कर्पूरी ठाकुर का अपमान किया था, जब जीप देने की बात आई तो उन्होंने तेल न होने का बहाना बनाया और कर्पूरी ठाकुर का ताना देकर उन्हें अपमानित किया।
आरक्षण की हकमारी: नीरज कुमार ने बताया कि लालू यादव के 15 साल के शासन काल में अति पिछड़ा समाज के लोगों को आरक्षण और सरकारी संस्थाओं में न्याय नहीं मिला। मंत्रिमंडल, बोर्ड, निगम और प्रशासन में उनकी संख्या नगण्य रही। 1990-2005 के बीच 272 मंत्रियों में केवल 18 मंत्री अति पिछड़ा समाज से थे, जो कि महज 6.6 प्रतिशत था।
जातीय जनगणना पर सवाल…वह किंगमेकर की भूमिका में थे
नीरज कुमार ने कहा कि लालू यादव ने कभी जातीय जनगणना कराने पर जोर नहीं दिया, जब वह किंगमेकर की भूमिका में थे। उनका यह रवैया जाति सर्वे को लेकर लापरवाह था। चारा घोटाले में फंसे रहने के कारण, लालू यादव ने जातीय जनगणना पर कभी गंभीरता से कदम नहीं उठाए।
महिला सम्मान पर निशाना, महिलाओं और बेटियों का
नीरज कुमार ने आरोप लगाया कि लालू यादव ने महिलाओं और बेटियों का सम्मान कभी नहीं किया, और अपनी चार्जशीटेड राजनीति को अपने बेटे तेजस्वी यादव के हवाले कर दिया।
राजनीतिक संदेश में राजनीतिक पाखंड और गांधीवादी सिद्धांतों की…
जेडीयू ने यह पत्र राजद के राजनीतिक पाखंड और गांधीवादी सिद्धांतों की अनदेखी के खिलाफ एक कड़ा संदेश दिया है। पत्र के माध्यम से नीरज कुमार ने स्पष्ट किया कि बिहार की विकास यात्रा में अब जातीय जनगणना जैसे मुद्दों का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश नहीं की जाएगी।