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दिसम्बर, 25, 2025

Environmental Protection: जमुनी लाल कॉलेज में Environmental Protection पर मंथन, प्राचार्य ने बताया जैविक-अजैविक संतुलन क्यों है अनिवार्य

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Environmental Protection: प्रकृति का ताना-बाना जब बिगड़ता है, तो जीवन की धुरी हिल जाती है। आज जब विकास की अंधी दौड़ ने हमारे परिवेश को प्रदूषित किया है, तब Environmental Protection की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस हो रही है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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Environmental Protection में युवाओं की भूमिका

जमुनी लाल कॉलेज में भूगोल विभाग द्वारा ‘पर्यावरण संरक्षण की भूमिका’ विषय पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में कॉलेज के प्राचार्य ने पर्यावरण की बिगड़ती दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए जैविक और अजैविक घटकों के बीच संतुलन की अनिवार्यता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि धरती पर जीवन के सतत प्रवाह के लिए यह संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। प्रकृति अपने आप में एक संपूर्ण इकाई है, जिसमें हर छोटे-बड़े जीव और निर्जीव तत्व एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं और प्राध्यापकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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प्राचार्य ने अपने संबोधन में बताया कि मानवीय गतिविधियों के कारण किस प्रकार यह पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है। उन्होंने औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और वनों की अंधाधुंध कटाई को मुख्य कारणों में से एक बताया। उनके अनुसार, इन गतिविधियों से न केवल प्रदूषण बढ़ा है, बल्कि कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर भी पहुँच गई हैं। उन्होंने सभी को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनने और अपनी दैनिक दिनचर्या में छोटे-छोटे बदलाव लाने का आग्रह किया, जो बड़े सकारात्मक परिणाम दे सकते हैं।

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जैविक और अजैविक घटकों का महत्व

संगोष्ठी के दौरान, भूगोल विभाग के विशेषज्ञों ने जैविक घटकों जैसे पेड़-पौधे, जीव-जंतु और सूक्ष्मजीवों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ये घटक किस तरह पर्यावरण को शुद्ध रखने और खाद्य श्रृंखला को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी तरह, अजैविक घटक जैसे जल, वायु, मिट्टी, सूर्य का प्रकाश और तापमान भी जीवन के लिए उतने ही अनिवार्य हैं। इन दोनों प्रकार के घटकों के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध ही एक स्वस्थ पर्यावरण की नींव रखते हैं। यदि इनमें से किसी भी घटक में असंतुलन पैदा होता है, तो उसका सीधा असर संपूर्ण पारिस्थितिक संतुलन पर पड़ता है, जिससे न सिर्फ मानव जीवन, बल्कि अन्य सभी जीवों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाता है। इस दौरान कई छात्रों ने भी पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार और प्रस्तुतियाँ दीं, जिन्हें खूब सराहा गया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन आज एक वैश्विक समस्या बन गया है, जिसका सीधा संबंध पर्यावरण के असंतुलन से है। बढ़ते तापमान, अनियमित वर्षा और प्राकृतिक आपदाएँ इसी के परिणाम हैं। उन्होंने अक्षय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग, जल संरक्षण, कचरा प्रबंधन और अधिक से अधिक वृक्षारोपण जैसे उपायों को अपनाने की सलाह दी। कॉलेज प्रशासन ने छात्रों से अपील की कि वे इन संदेशों को अपने समुदायों और परिवारों तक पहुँचाएं, ताकि पर्यावरण संरक्षण एक जन आंदोलन बन सके और हमारे ग्रह को एक बेहतर भविष्य मिल सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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