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दिसम्बर, 31, 2025

JDU leader Ashok Chaudhary: मैं Nitish Kumar से दूर हो जाऊं…”छोड़ दीजिए”

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JDU leader Ashok Chaudhary: मैं Nitish Kumar से दूर हो जाऊं…”छोड़ दीजिए”। दरअसल, जदयू नेता, सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग में  (JDU leader Ashok Chaudhary| DeshajTimes.Com) मंत्री और नीतीश कुमार के बेहद करीबी अशोक चौधरी इन दिनों फिर सुर्खियों में हैं।

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हाल में एक जाति विशेष पर टिप्पणी के बाद विरोध, प्रदर्शन और अपने ही पार्टी के लाइन और लेंथ से बिगाड़ की नौबत के बीच अब श्री चौधरी की एक कविता सोशल मीडिया पर वायरल क्या हुई। आला कमान ने तलब कर लिया।

कविता सामने आते ही चश्मे का रंग, ढ़ंग,आकार-प्रकार बदले

जानकारी के अनुसार, ग्रामीण कार्य विभाग मंत्री अशोक चौधरी की कविता सामने आते ही। इस कविता को लोगों ने सीधा सीएम नीतीश कुमार से जोड़कर उसी चश्मे से निहारना शुरू कर दिया। फिर क्या था? सीधा, नीतीश कुमार का बुलावा आ गया।

यह भी पढ़ें:  जमुई न्यूज़: MP अरुण भारती लापता, जगह जगह गुमशुदगी के पोस्टर, आखिर कौन है इसके पीछे?

मगर, नीतीश कुमार मेरे पिता हैं।

हालांकि, वहां सीएम आवास से निकलने के बाद छोड़ दीजिए वाली यह सुर्खियां लपेटती कविता पर उन्होंने कहा, मैं भला सीएम नीतीश पर कुछ लिखूं। यह कहां संभव है। दरअसल, कुछ लोग हैं, जो मेरे और नीतीश कुमार के बीच दूरियां बनाना चाहते हैं। चाहते हैं कि मैं उनसे अलग हो जाउं। मगर, नीतीश कुमार मेरे पिता हैं। आइए आपको मंत्री श्री चौधरी की कविता के साथ छोड़े जा रहा हूं ….छोड़ दीजिए

बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए।

बढ़ती उम्र में इन्हें छोड़ दीजिए। एक दो बार समझाने से यदि कोई नहीं समझ रहा है तो सामने वाले को समझाना, “छोड़ दीजिए”। बच्चे बड़े होने पर वो ख़ुद के निर्णय लेने लगे तो उनके पीछे लगना, छोड़ दीजिए। गिने चुने लोगों से अपने विचार मिलते हैं, यदि एक दो से नहीं मिलते तो उन्हें, छोड़ दीजिए। एक उम्र के बाद कोई आपको न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है तो दिल पर लेना, छोड़ दीजिए।

बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, छोड़ दीजिए।

अपने हाथ कुछ नहीं, ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना, छोड़ दीजिए। यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क पड़ रहा है तो खुद से अपेक्षा करना, छोड़ दीजिए। हर किसी का पद, कद, मद, सब अलग है इसलिए तुलना करना, छोड़ दीजिए। बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना, छोड़ दीजिए। उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे, यदि सुकून से रहना है तो उम्मीदें करना, छोड दीजिए।

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