Bihar Liquor Ban: बिहार में शराबबंदी का कानून एक ऐसी तलवार है जो सालों से कई जिंदगियों पर लटक रही है, अब इस पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का एक नया बयान सामने आया है, जिसने सियासी गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है।
जीतन राम मांझी का बड़ा बयान: Bihar Liquor Ban पर नया रुख
Bihar Liquor Ban: क्या है जीतन राम मांझी का नया स्टैंड?
केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतन राम मांझी ने बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उनके इस बयान ने राज्य की शराबबंदी नीति पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। मांझी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अब शराब पीकर जाने वाले या बहुत कम मात्रा में शराब ले जाने वालों को पुलिस द्वारा नहीं पकड़ा जाएगा। यह बयान उस समय आया है जब राज्य में शराबबंदी कानून को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं और इसकी प्रभावशीलता पर बहस जारी है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मांझी ने अपने बयान में इस बात पर जोर दिया कि कानून का पालन सही और निष्पक्ष तरीके से होना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अक्सर देखा जाता है कि छोटे-मोटे मामलों में आम लोगों को परेशान किया जाता है, जबकि बड़े पैमाने पर शराब माफिया बच निकलते हैं। उनका यह जीतन राम मांझी का बयान दिखाता है कि वह कानून के क्रियान्वयन में मौजूद खामियों को दूर करना चाहते हैं। उनका मानना है कि सरकार को इस कानून की समीक्षा करनी चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके और न्याय सुनिश्चित हो।
शराबबंदी कानून का मौजूदा परिदृश्य
बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। नीतीश कुमार सरकार ने इसे लागू करते हुए दावा किया था कि इससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा। हालांकि, इसके बाद से अवैध शराब के कारोबार, जहरीली शराब से मौत और जेलों में बढ़ती भीड़ जैसी समस्याएं सामने आती रही हैं। पुलिस और प्रशासन पर भी अक्सर शराबबंदी के नाम पर उत्पीड़न के आरोप लगते रहे हैं। इस संदर्भ में जीतन राम मांझी का बयान काफी मायने रखता है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
कानून के निष्पक्ष पालन की वकालत
जीतन राम मांझी ने अपने बयान में यह भी रेखांकित किया कि भले ही शराबबंदी एक नेक पहल हो, लेकिन इसका कार्यान्वयन मानवीय और व्यावहारिक दृष्टिकोण से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को केवल थोड़ी सी शराब पीने या रखने के अपराध में जेल में डाल देना न्यायसंगत नहीं है, खासकर जब राज्य में बड़े शराब माफिया बेखौफ घूम रहे हों। उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अपील की कि वे छोटे-मोटे उपभोक्ताओं के बजाय बड़े तस्करों और निर्माताओं पर ध्यान केंद्रित करें। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में एक अहम सहयोगी होने के नाते, मांझी का यह बयान सरकार के भीतर से ही शराबबंदी कानून पर एक नई बहस को जन्म दे सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और प्रशासन इस बयान पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या भविष्य में शराबबंदी कानून के प्रावधानों में कोई ढील दी जाती है या नहीं। राज्य में इस मुद्दे पर लंबे समय से चर्चा चल रही है, और मांझी का यह बयान निश्चित रूप से इस चर्चा को और हवा देगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।


