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दिसम्बर, 24, 2025

बिहार में Bihar Liquor Ban, मगर जीतन राम मांझी का विवादित बयान…लिमिट में, मचा सियासी भूचाल!

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Bihar Liquor Ban: बिहार की शराबबंदी नीति, एक ऐसी दीवार है जिसे भेदने की हर कोशिश सियासी बवंडर खड़ा कर देती है। अब इस दीवार में एक नया दरार पैदा हो गया है।

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बिहार में Bihar Liquor Ban को लेकर मांझी का विवाद: सियासी भूचाल!

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Bihar Liquor Ban: बिहार की पूर्ण शराबबंदी नीति के बीच, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी का एक बयान इन दिनों सियासी और सामाजिक गलियारों में तेज बहस का केंद्र बन गया है। उन्होंने सार्वजनिक मंच से “लिमिट में शराब पीने” की सलाह दी है, जिसके बाद उनके बयान की मंशा और इसकी व्याख्या को लेकर प्रदेश में गंभीर चर्चाएँ छिड़ गई हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार में शराबबंदी को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं और इसकी प्रभावशीलता पर बहस जारी है। यह हालिया बिहार में राजनीतिक विवादों की श्रृंखला में एक नया अध्याय है।

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Jitanram Manjhi और Bihar Liquor Ban: एक नई बहस की शुरुआत

गया में एक कार्यक्रम के दौरान जीतनराम मांझी ने जो कहा, वह कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था। उन्होंने कहा कि शराब पीने में कोई बुराई नहीं है, बशर्ते उसे एक “लिमिट में” पीया जाए। उनका यह बयान बिहार की नीतीश कुमार सरकार की सख्त शराबबंदी नीति के बिल्कुल विपरीत है, जहां शराब का सेवन और बिक्री दोनों ही पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। इस बयान के बाद, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मांझी का यह बयान आगामी चुनावों को ध्यान में रखकर दिया गया हो सकता है, या फिर यह सरकार पर शराबबंदी नीति में नरमी बरतने का दबाव बनाने की एक रणनीति भी हो सकती है। इस बयान ने निश्चित रूप से बिहार में राजनीतिक विवाद को गरमा दिया है।

कई विपक्षी नेताओं ने इस बयान को लेकर सरकार और मांझी पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि एक केंद्रीय मंत्री का ऐसा बयान शराबबंदी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर लोगों को भ्रमित कर सकता है और अवैध शराब के कारोबार को बढ़ावा दे सकता है। दूसरी ओर, मांझी के समर्थक इस बयान को उनकी व्यक्तिगत राय और विचारों की स्वतंत्रता से जोड़ रहे हैं, जबकि जदयू जैसी सहयोगी पार्टियां अभी तक इस पर खुलकर बोलने से बच रही हैं।

शराबबंदी नीति पर लगातार उठते सवाल

बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से ही इसके क्रियान्वयन पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अवैध शराब का कारोबार, जहरीली शराब से होने वाली मौतें और पुलिस-प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, सरकार का दावा है कि शराबबंदी ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाए हैं, खासकर महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। मांझी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब शराबबंदी पर नए सिरे से समीक्षा की मांग भी उठ रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान के बाद राज्य में शराबबंदी को लेकर नीतिगत स्तर पर कोई बदलाव आता है या नहीं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

यह मुद्दा सिर्फ सियासी बयानबाजी तक सीमित नहीं है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। बल्कि इसका सीधा असर बिहार के सामाजिक ताने-बाने पर भी पड़ सकता है। मांझी के इस बयान ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार में शराबबंदी का मुद्दा हमेशा ही एक ज्वलंत और संवेदनशील विषय रहेगा, जिस पर अलग-अलग राय सामने आती रहेंगी।

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