Natural Farming: धरती की कोख से उपजे अमृत समान अन्न की चाह अब किसानों को नई राह दिखा रही है, जहां जहर मुक्त खेती का सपना हकीकत में बदल रहा है। यह सिर्फ मिट्टी नहीं, बल्कि हमारे भविष्य को संवारने का संकल्प है।
कटिहार में Natural Farming से चमकी किसानों की किस्मत, जानें सफलता की कहानी
Natural Farming: किसानों ने साझा किए अपने अनुभव
कटिहार कृषि विज्ञान केंद्र में मंगलवार को राष्ट्रीय किसान दिवस का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिलेभर से जुटे किसानों ने प्राकृतिक खेती से जुड़े अपने अनमोल अनुभवों को साझा किया, जो आने वाले समय में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकता है। कार्यक्रम में मौजूद कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने भी किसानों को इस उन्नत विधि के फायदे और इसे अपनाने के आसान तरीके बताए। यह आयोजन अन्नदाताओं के सम्मान और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
किसानों ने बताया कि कैसे रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर निर्भरता कम करके उन्होंने न केवल अपनी उपज की गुणवत्ता सुधारी है, बल्कि लागत भी घटाई है। कई किसानों ने उदाहरण देकर समझाया कि पहले जहां उन्हें फसल में कीट लगने पर भारी नुकसान उठाना पड़ता था, वहीं अब प्राकृतिक तरीकों से वे कीटों पर आसानी से नियंत्रण पा लेते हैं। इस दौरान जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं पर भी चर्चा की गई, जिसने किसानों को एक स्वस्थ और टिकाऊ कृषि मॉडल की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
एक किसान रामसेवक महतो ने बताया, “मैंने दो साल पहले कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह पर अपने खेत के एक छोटे से हिस्से में प्राकृतिक खेती शुरू की थी। शुरुआत में संशय था, लेकिन आज मेरी सब्जियों की मांग बाजार में बढ़ गई है और मुझे अधिक मुनाफा मिल रहा है। मेरी मिट्टी की सेहत भी सुधर रही है।”
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राष्ट्रीय किसान दिवस का महत्व और जागरूकता
राष्ट्रीय किसान दिवस का आयोजन हर साल भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जन्मदिवस पर किया जाता है। यह दिन देश के किसानों के अथक परिश्रम और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान को याद करने का अवसर है। कटिहार के इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को आधुनिक और टिकाऊ कृषि पद्धतियों, खासकर प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक करना था। कृषि विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. एम.के. सिंह ने बताया कि उनका केंद्र लगातार किसानों को नई तकनीकों और सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराती है। आने वाले समय में यह बिहार के कृषि परिदृश्य को पूरी तरह बदल देगी।
इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश स्पष्ट रूप से उभरा कि प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर ही हम स्थायी कृषि विकास की राह पर आगे बढ़ सकते हैं। किसानों की सफलता की कहानियां अन्य अन्नदाताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगी और उन्हें भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




